भारत में बड़े पैमाने पर दहलन फसलों की खेती और उत्पादन होता है, लेकिन मांग का पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता बनी रहती है. आयात के इस क्रम कैलेंडर वर्ष 2024 में यह दोगुना होकर 66.33 लाख टन पहुंच गया, जो एक रिकॉर्ड है. आयात में यह उछाल घरेलू दहलन उत्पादन में कमी और कीमतों को स्थिर रखने के लिए आयात को बढ़ावा देने के कारण आया. सरकार ने दाल का आयात बढ़ाने के लिए पीली मटर को ड्यूटी फ्री (शुल्क मुक्त) कर दिया था.
दाल के आयात में बढ़ोतरी के मुख्य कारण में पीली मटर के इंपोर्ट को ड्यूटी फ्री करना शामिल है, जिसके बाद इसकी खेप में बढ़ोतरी हुई और लगभग 29.68 लाख टन पीली मटर दाल के आयात का अनुमान है. पिछले साल चने का उत्पादन घटने के अनुमान के चलते सरकार ने दिसंबर 2023 में पीली मटर के आयात को ड्यूटी फ्री कर दिया था. वहीं, आयात की मियाद को कई बार बढ़ाया, अब पीली मटर के ड्यूटी फ्री इंपोर्ट 28 फरवरी, 2025 तक होगा.
बता दें कि चने के आयात में भी चार गुना की वृद्धि दर्ज की गई है, एक साल पहले 1.31 लाख टन आयात के मुकाबले कैलेंडर वर्ष 2024 में 5.74 लाख टन आयात किया गया है. वहीं, अरहर (तूर) दाल का आयात 12.33 लाख टन और उड़द का 7.65 लाख टन आयात अनुमानित था, जबकि इस बार कैलेंडर वर्ष 2023 की तुलना में मसूर के आयात में कमी देखी गई. हालांकि, आयात 10.93 लाख टन रहा. 2023 में यह 16.81 लाख टन था, जो कि एक रिकॉर्ड है.
‘बिजनेसलाइन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, आईग्रेन इंडिया के राहुल चौहान ने कहा कि कैलेंडर वर्ष 2024 में रिकॉर्ड मात्रा में दालों का आयात किया गया है. घरेलू उत्पादन में आई कमी को पूरा करने के लिए इस साल दालों के आयात पर हमारी निर्भरता बढ़ी है. इससे पहले एक कैलेंडर वर्ष में दालों के आयात में सबसे बड़ा उछाल साल 2017 में देखा गया था, तब भारत ने रिकॉर्ड 31.03 लाख टन पीली मटर सहित 62.74 लाख टन दालें इंपोर्ट की थी.
राहुल चौहान ने कहा कि भारत की दालों की अनुमानित खपत 270 लाख टन है, जबकि अब तक किया गया आयात इसका लगभग एक चौथाई हिस्सा है. इस प्रकार हम अब तक कुल खपत का 24.57 प्रतिशत आयात कर चुके हैं, जो साल के चार महीनों की खपत के बराबर है.