पंजाब में इस सीजन में धान की खेती का रकबा 32 लाख हेक्टेयर को पार कर जाने की उम्मीद है, जो अब तक का सबसे अधिक क्षेत्रफल होगा. पिछले साल 31.93 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई की गई थी, जिसमें 5.87 लाख हेक्टेयर में बासमती धान का रकबा था. यह बासमती के तहत अब तक का सबसे अधिक रकबा था. हालांकि, इस साल 6 जिले मुक्तसर, फरीदकोट, मानसा, बठिंडा, फाजिल्का और फिरोजपुर में धान की रोपाई आधिकारिक तौर पर 11 जून से शुरू चुकी है. शेष 17 जिलों मोगा, संगरूर, बरनाला, मलेरकोटला, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, एसएएस नगर, रूपनगर, लुधियाना, कपूरथला, जालंधर, होशियारपुर, शहीद भगत सिंह नगर, तरनतारन, अमृतसर, गुरदासपुर और पठानकोट में 15 जून से हुई है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, चरणबद्ध रोपाई के तहत राज्य को दो जोन में बांटा गया है. इसके पीछे विचार यह है कि पानी की बचत की जाए और रोपाई को दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के आगमन के करीब ले जाया जाए, जो कि भारतीय मौसम विभाग के अनुसार जून के अंतिम सप्ताह में पंजाब में प्रवेश करने की उम्मीद है. धान और बासमती के रकबे में वृद्धि की उम्मीद है. क्योंकि कपास का रकबा 1 लाख हेक्टेयर से भी कम हो गया है.
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पिछले साल 1.73 लाख हेक्टेयर में कपास बोया गया था. नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, इस बार 96,000-97000 हेक्टेयर में इसकी बुवाई की गई है. अंतिम आंकड़ा अभी सामने आना बाकी है. कपास के रकबे में धान या बासमती की ओर बदलाव होने की उम्मीद है, क्योंकि कई किसानों ने या तो वसंत मक्का या ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती की है और जुलाई के पहले सप्ताह तक इन फसलों की कटाई के बाद उनके खेत खाली होने की उम्मीद है. इन खेतों में कम अवधि वाली धान की किस्में, मुख्य रूप से पीआर 126, या बी0 किस्में रोपी जाएंगी.
राज्य सरकार का दावा है कि उसने 11 और 15 जून से निर्धारित जिलों में धान के खेतों तक नहर के पानी की आपूर्ति की व्यवस्था की है. पारंपरिक तरीकों से धान की रोपाई में देरी करने के उद्देश्य से, पंजाब उप-भूमि जल संरक्षण अधिनियम 2009 में लागू किया गया था. इसके तहत, धान की रोपाई की तारीख शुरू में 10 जून तय की गई थी, लेकिन इन सभी वर्षों में यह घूमती रही. 2022 में पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से ही इसने राज्य को अलग-अलग क्षेत्रों में रोपण के लिए विभाजित करना शुरू कर दिया है.
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पंजाब कृषि विभाग के निदेशक जसवंत सिंह ने कहा कि धान और बासमती के 32 लाख हेक्टेयर को पार करने या छूने की उम्मीद है. हमें उम्मीद है कि बासमती के तहत क्षेत्र पिछले वर्ष की तुलना में 15-20 फीसदी बढ़ जाएगा. जब इसे 5.87 लाख हेक्टेयर में उगाया गया था. हमें चावल की सीधी बुवाई (DSR) के तहत क्षेत्र में भी वृद्धि की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि DSR के तहत रोपाई के बारे में डेटा जल्द ही मिलने की उम्मीद है.