कृषि के जिन क्षेत्रों में पुरुषों ने कब्जा किया हुआ था, वहां आज महिलाओं ने आकर अपना स्थान बनाया है और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाने के बजाय उन्हें काफी पीछे छोड़ते हुए आगे निकल गई हैं. महिलाएं अपनी कल्पनाशक्ति का लोहा मनवा रही हैं. वे अपनी अलग पहचान भी बना रही हैं. इसी कड़ी में नोएडा की चंचल शांडिल्य ने अपने फैशन डिजाइनिंग करियर को छोड़कर जैविक खेती में नई पहचान बनाई है. उनकी यह यात्रा किसी प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं है. चंचल के फैशन डिजाइनिंग कार्य में कोरोना महामारी के दौरान ठहराव आ गया. इस चुनौतीपूर्ण समय में उन्होंने हार नहीं मानी और एक नई दिशा की ओर कदम बढ़ाया. अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आईएआरआई पूसा में देश के कई प्रगतिशील किसानों से मुलाकात की और खेती-बाड़ी पर चर्चा की. इनमें नोएडा की जैविक खेती करने वाली चंचल शांडिल्य भी शामिल थीं, जिन्होंने जैविक खेती में अपनी अलग पहचान बनाई है.
नोएडा सेक्टर 62 में रहने वाली चंचल शांडिल्य एक फैशन डिजाइनर हैं. 2020 में कोरोना महामारी के चलते उनका दो दशक से किया जा रहा कार्य पूरी तरह से ठप हो गया. इस अनिश्चितता के बावजूद आत्मविश्वास से लबरेज प्रगतिशील महिला चंचल ने जैविक खेती का रास्ता अपनाया. उन्होंने ग्रेटर नोएडा वेस्ट में गुर्जर चौक के पास जमीन लीज पर लेकर जैविक खाद बनाने का काम शुरू किया. शुरुआत में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनके दृढ़ संकल्प ने उन्हें आगे बढ़ने से नहीं रोका सका.
शुरुआत में प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद चंचल ने जैविक खाद बनाने के साथ ही जैविक खेती भी शुरू कर दी. वे कृषि विज्ञान केंद्र गौतमबुद्ध नगर के कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क आईं और जैविक खेती के बारे में जानकारी जुटाई. उन्होंने अपने खेतों में कच्चे गोबर, पराली और अन्य जैविक सामग्री से खाद तैयार की, जिसे 60 से 90 दिनों में बनाने में सफल रहीं. इस खाद की बिक्री उन्होंने दस रुपये प्रति किलो की दर से शुरू की, जिससे उन्हें पहली बार आर्थिक लाभ मिला. उनके खेतों में उगाई गई सब्जियां जैसे गोभी, टमाटर, गाजर, शलजम, भिंडी, लौकी आदि को उनके आस-पड़ोस और रिश्तेदारों ने उनके जैविक उपज के स्वाद और गुणवत्ता को खूब सराहा. जैविक उपज की गुणवत्ता और स्वाद ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. फैशन डिजाइनर चंचल शांडिल्य को आइडिया आया और उन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग को एक मिशन के तौर पर लिया.
फैशन डिजाइनर से प्रगतिशील महिला किसान बन चुकी चंचल चार एकड़ में जैविक खेती कर रही हैं चंचल शांडिल्य ने अपने उत्पादों को व्यापक स्तर पर बेचने के लिए 'वीसीटी ऑर्गेनिक' के नाम से एक ब्रांड बनाया. इस ब्रांड के तहत उन्होंने गेहूं, चना, सरसों, अलसी, मिर्च, मेथी, तिल, दूध और घी जैसे उत्पादों को प्रोसेसिंग कर दिल्ली-एनसीआर के ग्राहकों तक पहुंचाया. उनकी जैविक उपज को ग्राहकों ने काफी पसंद किया, जिससे उनका व्यवसाय तेजी से बढ़ा. चंचल शांडिल्य फैशन डिजाइनर से अब पूरी तरह ऑर्गेनिक फार्मर बन चुकी हैं. चंचल के लिए जैविक खेती में सबसे बड़ी चुनौती प्रदूषित मिट्टी, पानी और हवा में बिना केमिकल्स के शुद्ध फसलें उगाना था. लेकिन, उन्होंने इस चुनौती का डटकर सामना किया और अपने खेतों के अवशेषों से जैविक खाद तैयार की. साथ ही, उन्होंने आधुनिक मल्चिंग विधि का भी इस्तेमाल किया, जिससे शुद्ध और हेल्दी उपज प्राप्त हुई. उनके उत्पादों की गुणवत्ता और शुद्धता के कारण उन्हें बाजार में अन्य उत्पादों से अधिक कीमत मिली. अब इन फसलों के साथ गौतमबुद्ध नगर कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से मिलेट्स की फसलें उगा रही हैं और प्रोसेसिंग कर बेच रही हैं. इसके आलावा डेयरी पशु का पालन कर उसका दूध और घी बेचकर अधिक लाभ कमा रही हैं जिससे उनका मुनाफा और बढ़ गया है.
चंचल शांडिल्य की इस पहल से न केवल उन्हें आर्थिक लाभ पहुंचाया, बल्कि उन्होंने आसपास के किसानों को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित किया. उनकी मेहनत और संकल्प ने उन्हें न केवल एक सफल जैविक किसान बनाया, बल्कि वह लोगों के लिए प्रेरणास्रोत भी बन गईं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी उन्हें आईएआरआई पूसा में प्रगतिशील किसानों के साथ मुलाकात के लिए आमंत्रित किया औऱ उनकी जैविक खेती के बारे में जाना. चंचल शांडिल्य की कहानी यह दिखाती है कि मुश्किल परिस्थितियों में भी नए रास्ते खोजकर सफलता पाई जा सकती है. उनकी यह यात्रा उन लोगों के लिए एक मिसाल है जो चुनौतियों से घबराने के बजाय उनसे जूझते हुए आगे बढ़ना चाहते हैं