कॉटन के व्‍यापार को लेकर CAI और ऑस्‍ट्रेल‍ियाई संगठन के बीच MoU साइन, होंगे ये फायदे

कॉटन के व्‍यापार को लेकर CAI और ऑस्‍ट्रेल‍ियाई संगठन के बीच MoU साइन, होंगे ये फायदे

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) और ऑस्ट्रेलियन कॉटन शिपर्स एसोसिएशन (ACSA) के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) साइन हुआ है. इस समझौते के तहत आपसी सहयोग करते हुए भारत और ऑस्‍ट्रेलिया कपास उत्पादन, ट्रेड में आने वाले नए ट्रेंड्स, वैश्विक कीमत तय करने और मार्केट विजन जैसे विचारों और जानकारी को एक-दूसरे से साझा करेंगे.

MoU Between CAI and ACSA for cotton tradeMoU Between CAI and ACSA for cotton trade
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 08, 2025,
  • Updated Apr 08, 2025, 1:07 PM IST

भारत में हर साल बड़ी मात्रा में कपास की खेती होती है और भारी उत्‍पादन के बावजूद भी आयात से मांग की पूर्ति होती है. पिछले कुछ सालों में भारत में ऑस्‍ट्रेल‍िया से भी कपास के आयात को बल मिला है. अब इस क्रम में अब कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) और ऑस्ट्रेलियन कॉटन शिपर्स एसोसिएशन (ACSA) ने एक समझौता ज्ञापन (MoU) साइन किया है. इस समझौते के तहत आपसी सहयोग करते हुए भारत और ऑस्‍ट्रेलिया कपास उत्पादन, ट्रेड में आने वाले नए ट्रेंड्स, वैश्विक कीमत तय करने और मार्केट विजन जैसे विचारों और जानकारी को एक-दूसरे से साझा करेंगे.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, CAI के अध्यक्ष अतुल गनात्रा और ACSA के अध्यक्ष क्लिफ व्हाइट ने शनिवार को MoU पर साइन किए. ACSA के अध्यक्ष क्लिफ व्हाइट और सीईओ जूल्स विलिस के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया का एक व्यापार प्रतिनिधिमंडल में भारत में आया हुआ है.

2022 के समझौते से व्‍यापारिक संबंध और मजबूत हुए

इस समझौता ज्ञापन से दोनों देशों के बीच व्यापार को मजबूत मिलेगी और बाजार पहुंच में सुधार होने और अपने कपास उद्योगों की भलाई का समर्थन करने के लिए बातचीत में मदद करने में एक-दूसरे का साथ मिलने और मदद की उम्मीद है. सीएआई के अध्यक्ष अतुल एस. गनात्रा ने ऑस्ट्रेलिया-भारत आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते को लेकर कहा कि यह 29 दिसंबर 2022 को लागू हुआ था. तब से 51,000 टन प्रति वर्ष के खास कोटे के साथ भारत में ऑस्ट्रेलिया से आयतित कपास को ड्यूटी-फ्री किया गया है.

किसान कपास की खेती से मोड़ रहे मुंह 

अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर का कहना है कि भारत में कपास की खेती के रकबे में वर्ष 2025/26 में गिरावट की आशंका है, क्योंकि किसान दलहन और तिलहन जैसी फसलों का रुख कर रहे हैं. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, कपास की कीमतों में वैश्विक गिरावट और कीटों के बढ़ते हमलों के कारण किसान ज्‍यादा मुनाफे वाली फसलों में रुचि ले रहे हैं.

इन फसलों की खेती कर रहे किसान

उदाहरण के लिए, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में किसान मूंगफली, तूर दाल और मक्का जैसी फसलों की बुवाई पर जोर दे रहे हैं. कपास संघ के अनुसार, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में कपास की बुवाई में 40-60 फीसदी तक की कमी आई है. इन बदलावों को देखते हुए, 2024-25 में कपास उत्पादन में 7 फीसदी की गिरकर 302.25 लाख गांठ होने का अनुमान है, जबकि पिछले वर्ष यह 325.29 लाख गांठ था. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि किसानों का यह रुझान उनकी आय बढ़ाने और फसल विविधीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

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