दालों की मिल रही अधिक कीमत के चलते किसानों का रुख दाल बुवाई की ओर बढ़ रहा है. केंद्र सरकार भी दालों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. ऐसे में यदि जायद सीजन के लिए किसानों ने अब तक मूंग दाल की बुवाई नहीं की है तो उनके पास अभी भी करीब सप्ताह भर का समय है. हालांकि, जो किसान अभी बुवाई से चूक गए हैं वे खरीफ सीजन में जून से जुलाई तक भी मूंग की बुवाई कर सकते हैं. जायद में मूंग बुवाई के लिए सोच रहे किसानों को बंपर उपज पाने के लिए कुछ बिंदुओं और मॉडर्न तकनीक पर ध्यान देना होगा. इससे उन्हें कम लागत में अधिक उपज का लाभ मिल सकेगा.
दलहनी फसलों में मूंग को प्रमुख रूप से गिना जाता है और इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों की वजह से बाजार में इसकी अच्छी खासी मांग रहती है. किसानों को मूंग की बुवाई के लिए केंद्र सरकार सहकारी समिति एनसीसीएफ और पैक्स (PACS) के जरिए हाई क्वालिटी वाले बीज उपलब्ध करा रही है. जबकि, बुवाई से लेकर, सिंचाई, कटाई और बिक्री, भंडारण तक की जानकारी दे रही है. केंद्र ने किसानों से एमएसपी दरों पर दाल खरीद का वादा भी किया है. 2023-24 फसल सीजन के लिए मूंग दाल का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी रेट 8558 रुपये प्रति क्विंटल है, जो बीते सीजन की तुलना में 803 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है.
उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में मूंग दाल की बुवाई खूब होती है. इन राज्यों की जलवायु और मिट्टी इस दाल की खेती के लिए अनुकूल होती है. उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के अनुसार मूंग दाल की बुवाई के लिए सबसे पहले खेत और मिट्टी को तैयार करना जरूरी होता है. मूंग की खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है.
मूंग दाल की बुवाई के लिए खेत में बीज की सही मात्रा रखना बंपर उपज पाने के लिए जरूरी है. यूपी सरकार के कृषि विभाग के अनुसार प्रति हेक्टेयर खेत में 20-25 किलोग्राम मूंग का बीज बुवाई के लिए सही है. बीज की बुवाई से पहले उसका उपचार जरूरी है. इसके लिए 2.5 ग्राम थीरम या इसके साथ 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम या 5-10 ग्राम ट्राइकोडर्मां एक किलो बीज के साथ मिलाना चाहिए. इससे बीज रोग मुक्त हो जाता है और बीज मिट्टी में अच्छे से पकड़ बनाता है, जो पौधे को पोषकता से भरने में मदद करता है और उपज अधिक मिलती है.
बीज को प्योर यानी शुद्ध और रोगमुक्त करने की प्रक्रिया के बाद बीजों को एक बोरे पर फैलाकर राइजोबियम तरीके से तैयार करें. राइजोबियम विधि से नाइट्रोजन की जरूरत कम हो जाती है.
मूंग की बुवाई के लिए खेत में खाद की सही मात्रा का होना भी जरूरी है. इसके लिए किसान 10-15 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो ग्राम फास्फोरस, 20 किलो पोटाश और 20 किलो सल्फर प्रति हेक्टर में इस्तेमाल करें. अगर सुपर फास्फेट उपलब्ध न हो तो 1 क्विटंल डीएपी और 2 क्विंटल जिप्सम का प्रयोग बुवाई के साथ किया जाये.