अंगूर में लगने वाले प्रमुख रोग और उनकी रोकथाम करने का तरीका

अंगूर में लगने वाले प्रमुख रोग और उनकी रोकथाम करने का तरीका

अंगूर की फसल में तीन रोगों- डाउनी मिल्ड्यू, पाउडरी मिल्ड्यू और एंथ्राक्नोस के लगने की संभावना सबसे ज्यादा होती है. ऐसे में आइए आज इन प्रमुख रोगों पर नियंत्रण पाने का तरीका जानते हैं- 

अंगूर का गुच्छा अंगूर का गुच्छा
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Dec 29, 2022,
  • Updated Dec 29, 2022, 7:10 PM IST

अंगूर की बागवानी (Grape farming) देश के कई क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जाती है. वही इसकी खेती के लिए गर्म, शुष्क, जलवायु सही रहती है. दरअसल, इसकी खेती के लिए बहुत अधिक तापमान हानि पहुंचा सकता है. अधिक तापमान के साथ अधिक आद्रता होने से फसल में रोग लग जाते हैं. नतीजतन फल के विकास तथा पके हुए अंगूर की बनावट और गुणों पर काफी असर पड़ता है. वही अंगूर की फसल में तीन रोगों- डाउनी मिल्ड्यू, पाउडरी मिल्ड्यू और एंथ्राक्नोस के लगने की संभावना सबसे ज्यादा होती है. ऐसे में आइए आज इन प्रमुख रोगों पर नियंत्रण पाने का तरीका जानते हैं- 

अंगूर की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग 

डाउनी मिल्ड्यू: बारिश और अधिक नमी की अवस्था में डाउनी मिल्ड्यू बीमारी अंगूर की फसल में पत्ती निकलने की अवस्था से लेकर फल बनने तक की अवस्था तक खतरनाक साबित हो सकती है. वही डाउनी मिल्ड्यू पर नियंत्रण पाने के लिए किसान निम्नलिखित उपाय को अपना सकते हैं- 

•    पौध पर 3 से 5 और 7 पत्तियों की अवस्था तक फफूंदनाशक का छिड़काव करें.
•    फल के अंकुरण से लेकर उसके विकास तक लगभग 13 मिली मीटर के व्यास में 5 से 7 दिन के अंतराल में फूफंदनाशक प्रोफाइलेक्टिक का छिड़काव करना चाहिए.
•    छंटाई के 75 दिनों बाद अनुसंशित फफूंदनाशक का छिड़काव करें.  
 
पाउडरी मिल्ड्यू : पाउडरी मिल्ड्यू पत्ती और शाखाओं में होता है. ऐसे में फसल में रोग लगने पर रोग नियंत्रण के उचित उपाय किए जाने चाहिए, क्योंकि फल पर लगने से बाजार में कीमत कम हो जाती है. पाउडरी मिलड्यू के लक्षणों की जानकारी मिलते ही फफूंदनाशक का छिड़काव करना चाहिए. वही किसी भी प्रकार की समस्या से बचने के लिए प्रत्येक फसल मौसम में फफूंदनाशी की 2 या 3 से अधिक छिड़काव नहीं करना चाहिए.

एंथ्राक्नोस बीमारी: एंथ्राक्नोस बीमारी नए अंकुर, नई पत्तियों तथा फूलों एवं नए पूर्व विकसित फलों में होती है. वही कोई भी लक्षण दिखने पर फफूंदनाशक द्वारा नए अंकुरों की देखभाल करनी चाहिए. वही फफूंदनाशक का इस्तेमाल करने से पहले बीमारी से ग्रसित तनों की छंटाई जरूरी कर देनी चाहिए. कोशिश करें कि कॉपर फफूंदनाशक का इस्तेमाल करें, क्योंकि इससे शुष्क मौसम में होने वाले डाउनी मिल्ड्यू, एन्थ्रेक्नोज और बैक्टीरियल केंकर को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है.

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