बिहार के मुजफ्फरपुर की लीची दुनिया भर में मशहूर है. वहीं अब देश में लीची का रकबा बढ़ाने की कवायद चल रही है. इसी कड़ी में राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुशहरी, मुजफ्फरपुर में पौधशाला प्रबंधन पर दो दिवसीय ट्रेनिंग दी जाएगी. जिसमें छह राज्यों के किसान इसकी नर्सरी के गुण सीखने पहुंचे भी रहे हैं. किसानों को इस ट्रेनिंग के दौरान नर्सरी के साथ बाग प्रबंधन की भी जानकारी दी जाएगी. दो दिवसीय ट्रेनिंग में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, असम, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से कुल 45 किसान शिरकत कर रहे हैं. लीची उत्पादन के मामले में बिहार देश के अन्य सभी राज्यों में आगे है. वहीं यहां की मशहूर मुजफ्फरपुर की शाही लीची को जीआई टैग भी मिल चुका है.
बिहार की मिट्टी और जलवायु लीची की खेती के लिए अनुकूल है. वहीं राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार देश के कुल लीची उत्पादन में बिहार अकेले 42.55 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है. अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ. विकास दास ने बताया कि गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में लीची की खेती की संभावना के बारे में बढ़ती जागरूकता के साथ लीची की गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री की मांग दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है. कार्यक्रम के दौरान सभी ट्रेनी को लीची की गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री के उत्पादन पर व्यवहारिक प्रशिक्षण भी दे रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर पर इसके विस्तार की संभावना बनी है. वहां से किसानों को कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से लाकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
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डॉ. दास ने बताया कि बिहार के साथ उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, मणिपुर हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, उत्तराखंड, आंध्रप्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, मिजोरम, गुजरात, महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश में लीची की खेती की बेहतर संभावना है. निदेशक ने कहा कि लीची कम ऊंचाई पर उगने वाली फसल है. इसे समुद्र तल से 800 मीटर तक की ऊंचाई तक उगाया जा सकता है. भारी वर्षा से लीची को नुकसान होने की संभावना ज्यादा रहती है. युवा पेड़ों को कई वर्षों तक ठंड व गर्म हवाओं से सुरक्षा की आवश्यकता होती है. पेड़ों के उचित फलन के लिए तापमान में कुछ बदलाव आवश्यक है.
निदेशक डॉ. दास ने बताया कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और झारखंड के किसान लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर में ट्रेनिंग ले रहे हैं. ये देखा गया है कि बिहार, झारखंड, बंगाल और उत्तराखंड के अलावा बाकी के राज्यों में भी लीची का प्रसार हो रहा है. वहां के किसान लीची के अधिक पौधे लगाना चाहते हैं. लेकिन लीची की उच्च गुणवत्ता वाली किस्मों के पौधों की कमी होने के कारण इसका प्रसार तेजी से नहीं हो रहा है. जिन राज्यों का मौसम लीची की बागवानी के अनुकूल है वहां के किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली लीची के पौधे तैयार करने की ट्रेनिंग दी जा रही है. जिससे किसानों को उनके राज्य में में ही पौधे उपलब्ध हो जाएंगे, और लीची की खेती का विस्तार होगा.
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