विदेशी बाजारों में भारतीय आम की मांग और खपत को देखते हुए कृषि विज्ञानी नई-नई किस्में विकसित कर रहे हैं. जीबी पंत नगर विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञानियों ने दिल्ली में मैंगो फेस्टिवल सबसे बड़े और सबसे छोटे आम की किस्मों प्रदर्शित किया. बताया गया कि 5 किलो वजनी आम हाथीझूल (Haathijhool) को विकसित करने में कामयाबी मिली है. इसे बड़े पैमाने पर उत्पादन की कोशिश की जा रही है. जबकि, दूसरी आम की रंगीन किस्मों की मांग को देखते हुए उनकी बागवानी पर भी जोर दिया जा रहा है.
जीबी पंत नगर कृषि विश्वविद्यालय (GBPUAT) ने रविवार को दिल्ली में मैंगो फेस्टिवल का आयोजन किया, जिसमें दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे छोटी आम की किस्मों को प्रदर्शित किया गया. इसमें सबसे बड़ी हाथी झूल और सबसे छोटी अंगूर लता किस्में शामिल हैं. बागवानी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह ने बताया कि भारत में आम की 1200 से अधिक किस्में हैं और दशहरी और अल्फांसो फलों की सबसे लोकप्रिय किस्में हैं.
बागवानी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह ने कहा कि मैं आपको बताना चाहूंगा की हाथी झूली इस किस्म का नाम है और यह आम भारत का ही नहीं पूरे विश्व का सबसे बड़ा आम है. यह भार में सबसे ज़्यादा होता है, इसका वज़न लगभग 4 से 5 किलो के बीच रहता है. ज्यादातर 4 से 4.5 किलो के बीच में आम का फल रहता है. उन्होंने कहा कि ये आम भारत का सबसे बड़ा आम है.
उन्होंने कहा कि विकसित की गई जो दूसरी आम की किस्म है उसे अंगूर लता (Angoor Lata) आम कहते हैं. यह आम अंगूर जैसे दिखते भी हैं. इनका साइज बहुत छोटा और वजह कम होता है. इसके साथ ही अशोक कुमार सिंह ने सेंसेशन और बांद्रा आम किस्म को भी दिखाया, जिसका ऊपरी हिस्सा पीला और निचला हिस्सा हरा होता है. उन्होंने कहा कि बांद्रा आम के कलर को दशहरी आम किस्म में भी लिया जा सकता है. हम इसको करने की कोशिश कर रहे हैं. कई सारे आम निकले भी गए हैं.
उन्होंने बताया कि दुनियाभर में सबसे पॉपुलर आम दशहरी, अल्फांसो आम है. अल्फांसो हमारा एक्सपोर्टेबल आम है. दशहरी और अल्फांसो का खूब एक्सपोर्ट होता है. उन्होंने कहा कि भारतवर्ष में हमारे पास कुल 1200 किस्मों के आम हैं. लेकिन, 1200 किस्मों में से अखिल भारतीय स्तर पर 28 किस्में हैं, जिन्हें कमर्शियल खेती के रूप में उत्पादन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अगर आप उत्तर भारत की बात करें तो वहां पर आम की 8 किस्में है, जैसे दशहरा, लंगड़ा, चौसा, आम्रपाली, मलिका आदि. इन आम की किस्मों को किसान उगा रहे हैं.
अगर रंगीन आम की किस्मों को देखें तो इसमें कोई दो राय नहीं है की उनकी मार्केट में मांग अधिक हो सकती है. कलरफुल होने की वजह से ऐसे आम की किस्मों की तरफ अट्रैक्शन ज़्यादा है. लेकिन, अगर स्वाद की बात करें तो अभी हमारी जो पुरानी किस्मों हैं उनका स्वाद बहुत बढ़िया है. हमारी नई किस्में जो रंगीन हैं उनका स्वाद है पर पुरानी किस्मों के बराबर नहीं.
नई रंगीन आम की किस्मों में अरुणिका, उषा अरुणिमा है. इन आम की किस्मों के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा रहा है. ताकि इसको एक्सपोर्ट किया जा सके और इसके कलर की वजह इनकी सुंदरता बहुत शानदार है.