कोदो की खेती करनी है तो मॉनसून से पहले जल्दी निपटा लें ये काम, इन फसलों के साथ भी कर सकते हैं बुवाई

कोदो की खेती करनी है तो मॉनसून से पहले जल्दी निपटा लें ये काम, इन फसलों के साथ भी कर सकते हैं बुवाई

बाजरा कई तरह का होता है, जिसमें ज्वार, बाजरा, कंगनी, रागी आदि शामिल हैं. इन्हीं में से एक कोदो भी अपने कई गुणों की वजह से सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. लेकिन इसके बारे में बहुत कम लोगों ने सुना होगा. इसके फायदों को देखते हुए कोदो की खेती अब कई किसानों के द्वारा की जाने लगी है. ऐसे में अगर आप भी इसकी खेती करना चाहते हैं तो मॉनसून से पहले जल्दी ये काम निपटा लें.

कोदो की खेती से जुड़ी जरूरी बातेंकोदो की खेती से जुड़ी जरूरी बातें
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 30, 2024,
  • Updated May 30, 2024, 12:35 PM IST

पिछले कुछ समय से देशभर में मिलेट्स काफी लोकप्रिय हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार बाजरा और इसके फायदों का जिक्र करते नजर आए हैं. सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होने की वजह से लोग तरह-तरह के बाजरा को अपनी डाइट का हिस्सा बना रहे हैं. बाजरा कई तरह का होता है, जिसमें ज्वार, बाजरा, कंगनी, रागी आदि शामिल हैं. इन्हीं में से एक कोदो भी अपने कई गुणों की वजह से सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. लेकिन इसके बारे में बहुत कम लोगों ने सुना होगा. इसके फायदों को देखते हुए कोदो की खेती अब कई किसानों के द्वारा की जाने लगी है. ऐसे में अगर आप भी इसकी खेती करना चाहते हैं तो मॉनसून से पहले जल्दी ये काम निपटा लें.

मॉनसून से पहले करें ये काम

मॉनसून आने से पहले खेत की जुताई करते हैं. मॉनसून शुरू होते ही खेत को दो-तीन बार हल से जोतने के बाद पाटा चलाना चाहिए, ताकि मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी रहे. कोदो की बुआई उत्तरी भारत में 15 जून से 15 जुलाई के बीच होती है. इसके बीज को 3-4 सें.मी. गहरा और इसके साथ पौधों से पौधों की दूरी 8-10 सें.मी. होनी चाहिए. छिड़काव विधि के लिए 10-15 कि.ग्रा./ हैक्टर बीज दर पर्याप्त है.

फसलों में कब करें सिंचाई

कोदो फसल की कल्ले निकलने और फूल आने की अवस्था में सिंचाई आवश्यक है. पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद करनी चाहिए. यदि वर्षा न हो तो 12-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना जरूरी हो जाता है.

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ऐसे करें खरपतवार नियंत्रण

पौधों की वृद्धि की प्रारंभिक अवस्था में खरपतवारों पर नियंत्रण करना आवश्यक है. यह मुख्य फसल में प्रयुक्त पोषक तत्वों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं. प्रारंभिक अवस्था में खरपतवार मुख्य फसल की वृद्धि को रोक देते हैं. इसके लिए 20-25 दिन बाद निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए, ताकि मिट्टी में खरपतवारों का घनत्व कम हो सके तथा मिट्टी में वायु संचार होकर पौधों की वृद्धि में तेजी आ सके. रासायनिक विधि से खरपतवार प्रबंधन के लिए बुवाई के 1-2 दिन बाद आइसोप्रोटूरॉन शाकनाशी का 0.1 किलोग्राम सक्रिय घटक 500-600 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए. खरपतवार की अधिक समस्या होने पर 2-4 डी. सोडियम साल्ट शाकनाशी का 0.75 किलोग्राम सक्रिय घटक 500-600 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के 20-25 दिन बाद छिड़काव करना चाहिए.

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कैसे करें कोदो की खेती

कोदो देखने में भले ही धान जैसा पौधा लगता हो, लेकिन कोदो की खास बात यह है कि इसे धान के मुकाबले बहुत कम पानी की जरूरत होती है. कोदो भारत के कई राज्यों जैसे महाराष्ट्र, उत्तरी कर्नाटक, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात और उत्तर प्रदेश में उगाया जाता है. इतना ही नहीं, इसकी खेती विदेशों में भी की जाती है. भारत के अलावा कोदो फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, थाईलैंड और दक्षिण अफ्रीका में भी उगाया जाता है.

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