कद्दू, जिसे अंग्रेजी में Pumpkin कहते हैं, वह किचन से लेकर व्यापार की दुनिया में बड़े अदब के साथ पहचाना जाता है. किचन का अर्थ ये है कि लोग इसे बहुत चाव से खाना पसंद करते हैं. रंग भी इतना खूबसूरत होता है कि इसे न चाहते हुए भी सब्जीवाले से हम खरीद लेते हैं. स्वाद भी ऐसा होता है कि मसाले के साथ या प्लेन, जैसे भी हो जायका लजीज हो जाता है. ये तो हुई कद्दू के व्यंजन में शामिल होने की बात. लेकिन इसका दायरा इससे बहुत आगे है. खासकर, व्यापार में जहां भारत आज बहुत आगे है. इसमें भी 7 ऐसी किस्में हैं जो निर्यात के लिहाज से बेहद अहम हैं. ये किस्में किसानों की बंपर कमाई करा रही हैं. आइए इन वेरायटी के बारे में जानते हैं.
कद्दू की बेहद खूबसूरत और नामचीन किस्मों में अरका सूर्यमुखी का नाम दर्ज है. ऊपरी हिस्से में इसका आकार गोल होता है, लेकिन निचला हिस्सा थोड़ा आकारहीन या टेढ़ा-मेढ़ा सा होता है. आकार जैसा भी हो, इसका रंग हर किसी को मोह लेता है. कद्दू की यह किस्म संतरे रंग की होती है. फल पर धारियां पूरी तरह से दिखती हैं. जैसे-जैसे इसका फल बड़ा होता है, धारियां भी चटख रंग में आती हैं. इस कद्दू का सामान्य वजन 1 किलो तक होता है. रंग और हल्के वजन के चलते इसकी मांग बहुत अधिक है.
अरका चंदन भी कद्दू की बहुत मशहूर वेरायटी है. इसका आकार बहुत बड़ा नहीं होता. मध्यम दर्जे के आकार का इसका फल होता है. रंग इसका हल्का भूरापन लिए होता है. अरका चंदन वेरायटी का वजन औसतन 2-3 किलो तक हो सकता है. इसकी फसल 120 दिनों में तैयार हो जाती है. यानी लगभग 4 महीने में यह पक कर तैयार हो जाता है जिसे बेचकर अच्छी कमाई की जा सकती है.
आम बाजारों में यह वेरायटी जल्द नहीं दिखती क्योंकि इसकी खेती मुख्य रूप से निर्यात के लिए की जाती है. इस किस्म की विदेशों में बहुत मांग है जिसके चलते किसान लोकल बाजारों की तुलना में निर्यात पर अधिक ध्यान लगाते हैं. पाउ मगज कद्दू-1 किस्म का आकार सामान्य रूप से गोल होता है. इसका फल मध्यम दर्जे का होगा और जैसे-जैसे पकेगा, वैसे-वैसे इसका रंग पीला होता जाता है.
सब्जी की ठेली या दुकानों पर अकसर इस कद्दू से आपका सामना होता होगा. यही वही कद्दू है जो बाहर से पूरी तरह हरा दिखता है. लोग इसकी मांग इसलिए अधिक करते हैं क्योंकि कच्चे फल की सब्जी अच्छी बनती है. शुरू में इसकी कटाई कर ली जाए तो यह हरा दिखेगा. लेकिन जैसे-जैसे यह बढ़ेगा इसका रंग भूरा होता जाता है. एक्सपोर्ट के लिहाज से पंजाब सम्राट को भी अच्छा नाम मिला हुआ है.
कद्दू की वेरायटी पीपीएच-1 ऐसी किस्म है जो जल्दी तैयार होती है. किसानों के लिए यह फायदे की बात है क्योंकि उन्हें जल्दी बेचकर मुनाफा कमाने का मौका मिल सकता है. इसकी लताएं भी बहुत बड़ी या झाड़ीनुमा नहीं होतीं, इसलिए बुआई से लेकर कटाई तक में सुविधा होती है. इसका फल आकार में गोल और छोटा होता है. शुरू में यह फल हरा होगा, लेकिन पकने के साथ ही भूरा हो जाता है.
कद्दू की पीपीएच वेरायटी-2 बहुत तेजी से तैयार होती है. इसका फल जल्द तैयार होता है. पीपीएच-1 की तरह पीपीएच-2 का फल शुरू में हरा होता है, लेकिन पकने के साथ यह भूरे रंग का हो जाता है. पीपीएच-2 भी गोल आकार में होता है. पीपीएच-1 से फर्क यह होता है कि पीपीएच-2 का बाहरी हिस्सा चिकना होता है. पीपीएच-2 का बाहरी आवरण थोड़ा रूखड़ा होता है.
कद्दू की वेरायटी पाउ मगज कद्दू-1 2018 में विकसित की गई थी. पाउ मगज कद्दू-1 में बिना छिलके के बीज, बौनी बेलें और गहरे हरे रंग की पत्तियां होती हैं. फल मध्यम आकार का होता है. फल आकार में गोल और पकने पर सुनहरे पीले रंग का होता है. निर्यात की दृष्टि से इस किस्म की खेती भी बेहद मुनाफे वाली मानी जाती है.