IMD की एडवाइजरी के तहत खेती करने से बढ़ गया चावल-गेहूं का प्रोडक्शन, लागत में आई गिरावट

IMD की एडवाइजरी के तहत खेती करने से बढ़ गया चावल-गेहूं का प्रोडक्शन, लागत में आई गिरावट

अध्ययन के लिए फतेहगढ़ साहिब और रूपनगर जिलों के तीन गांवों का चयन किया गया. 110 किसानों के ऊपर सर्वेक्षण किया गया है, जिनमें से 70 सीमांत या छोटे किसान थे और 40 मध्यम किसान शामिल थे. इन किसानों ने एएबी द्वारा दी गई जानकारी को अपनाया था.

इस तरीके से खेती करने पर बढ़ गई कमाई. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 22, 2024,
  • Updated Jan 22, 2024, 5:02 PM IST

भारत मौसम विभाग के एग्रोमेट एडवाइजरी बुलेटिन (एएबी) के तहत खेती करने वाले किसानों को काफी फायदा हुआ है. जिन किसानों ने एडवाइजरी बुलेटिन का पालन करते हुई खेती की, उनके यहां चावल और गेहूं का प्रोडक्शन बढ़ गया. इससे न सिर्फ उन किसानों की कमाई बढ़ी है, बल्कि र्यावरण को भी लाभ हुआ है. कहा जा रहा है कि एएबी को अपनाने वाले किसानों ने पूर्वानुमान के अनुसार खेती की तैयारी की. समय पर फसलों की बुवाई और कीटनाशकों का छिड़काव करने से चावल- गेहूं के उत्पादन में क्रमश: 2.25-3.75 क्विंटल और 1.75-4.50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बढ़ोतरी हुई है.

दैनिक ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक,  भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अपने अध्ययन में दावा किया है कि एएबी का उपयोग करके, किसान अधिक कमाई कर सकते हैं. एडवाइजरी के तहत खेती करने वाले किसानों ने चावल से 4,100-7,000 रुपये प्रति हेक्टेयर और गेहूं से 3,200-9,200 रुपये प्रति हेक्टेयर अधिक कमाई की है. अध्ययन में यह भी कहा गया है कि किसान मौसम पूर्वानुमानों का पालन करके मौसम बदलाव के कारण होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं.

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इस तरह हुआ किसानों को लाभ

अध्ययन के लिए फतेहगढ़ साहिब और रूपनगर जिलों के तीन गांवों का चयन किया गया. 110 किसानों के ऊपर सर्वेक्षण किया गया है, जिनमें से 70 सीमांत या छोटे किसान थे और 40 मध्यम किसान शामिल थे. इन किसानों ने एएबी द्वारा दी गई जानकारी को अपनाया था. अध्ययन से यह भी पता चला है कि 65 से 93 प्रतिशत किसान जैविक तनाव प्रबंधन से लाभान्वित हुए हैं. वहीं, 65 से 85 प्रतिशत किसानों को सिंचाई प्रबंधन से फायदा हुआ है. वहीं, 75 से 78 प्रतिशत किसानों को समय पर बुआई करने का लाभ मिला है. इसी तरह 62 से 65 प्रतिशत किसान पोषक तत्व प्रबंधन से लाभान्वित हुए हैं.

इनपुट लागत में आई गिरावट

अध्ययन से पता चला है कि एएबी अपनाने वालों द्वारा चावल पर 690-3,750 रुपये प्रति हेक्टेयर और गेहूं पर 320-1,670 रुपये प्रति हेक्टेयर खर्च किया गया, जो एएबी का पालन नहीं करने लेने वालों की तुलना में काफी कम था. दरअसल, बीज, उर्वरक, सिंचाई और अन्य जैविक खाद जैसे कृषि इनपुट धीरे-धीरे महंगे होते जा रहे हैं. इसलिए वैज्ञानिकों की सलाह और तकनीकों को अपना कर इनपुट लागत को कम किया जा सकता है. इससे लागत के मुकाबले लाभ ज्यादा होता है. खास बात यह है कि अध्ययन में यह भी खुलासा हुआ है कि किसानों द्वारा एएबी को अपनाने से 211.3 हेक्टेयर चावल क्षेत्र से 29.1 मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम हो गया.

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