परमल धान की आवक में भारी गिरावट के चलते खरीद टारगेट को पूरा करने से हरियाणा में पिछड़ने वाला है. क्योंकि, राज्य सरकार ने 15 नवंबर को 60 लाख मीट्रिक टन खरीद पूरी करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें से 10 लाख मीट्रिक टन धान कम खरीदी जा सकी है और अब खरीद की समय सीमा कल खत्म होने वाली है. एक्सपर्ट का मानना है कि परमल धान को विपरीत मौसम से नुकसान हुआ है और बासमती पर किसानों का शिफ्ट होना भी उपज और आवक घटने की बड़ी वजह बनकर उभरी है.
परमल धान गैर बासमती चावल की एक किस्म है जो हरियाणा में बड़े पैमाने पर बोई जाती है. यह किस्म कम समय में अधिक उत्पादन देने के चलते किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है. हरियाणा में 15 नवंबर को परमल धान खरीद की समयसीमा पूरी होने वाली है. जबकि, खरीद टारगेट 60 लाख मीट्रिक टन रखा गया है. रिपोर्ट के अनुसार आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 13 नवंबर की शाम तक राज्य भर की अनाज मंडियों में 51.94 लाख मीट्रिक टन परमल धान पहुंच चुकी है. पिछले सीजन में परमल किस्मों की आवक 59 लाख मीट्रिक टन से अधिक थी.
कृषि विशेषज्ञ ने धान की कम खरीद और आवक में गिरावट के लिए कई फैक्टर को जिम्मेदार बताया है. इसमें बेमौसम बारिश से पैदावार में गिरावट की बात कही जा रही है. जबकि, परमल धान की बजाय इस बार किसानों का बासमती किस्मों खासतौर से 1509 किस्म की बुवाई अधिक क्षेत्र में करने को भी बड़ी वजह के रूप में देखा जा रहा है. इसके अलावा फसल विविधीकरण भी उत्पादन में गिरावट की वजह हो सकता है.
कृषि एक्सपर्ट के हवाले से कहा गया है कि पिछले सीजन में बासमती किस्म 1509 ने किसानों को अच्छा रिटर्न दिया था, इसलिए कई किसानों ने परमल धान किस्म का रकबा कम करके 1509 किस्म की खेती की है. हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड (HSAMB) के अधिकारियों ने आवक को प्रभावित करने वाले अतिरिक्त कारणों की ओर इशारा करते हुए कहा कि अनाज मंडियों में सख्त निगरानी और गड़बड़ी रोकने के उद्देश्य से हाल ही में किए गए उपायों ने भी इसमें भूमिका निभाई. पड़ोसी राज्यों में धान और चावल की ऊंची दरें भी एक वजह हैं.
हरियाणा की अनाज मंडियों के आंकड़ों से पता चलता है कि जिलों में धान आवक में काफी अंतर है. कुरुक्षेत्र और कैथल में सबसे अधिक आवक दर्ज की गई है. कुरुक्षेत्र में 9.97 लाख मीट्रिक टन और करनाल में 8.30 लाख मीट्रिक टन धान की आवक हुई है. कैथल में 8.14 लाख टन, अंबाला 5.91 लाख टन आवक रिपोर्ट की गई है. वहीं, सबसे कम परमल धान की आवक झज्जर और फरीदाबाद में दर्ज की गई है.