UP News: किसान आधुनिक तकनीक की सहायता से विभिन्न फसलों की खेती कर अच्छी आय प्राप्त कर रहे हैं. इसी क्रम में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी (ICAR-Indian Institute of Vegetable Research, Varanasi) में चल रहे उत्तर प्रदेश कृषि शोध परिषद (उपकार), लखनऊ परियोजना के तहत ग्राम मगरहां जिला मिर्ज़ापुर के किसानों को ग्राफ्टेड बैंगन के 750 पौध लगभग 6 बिस्वा जमीन के लिए मुफ्त वितरण किया गया. इस समारोह में उपस्थित सब्जी उत्पादन विभाग के विभागाध्यक्ष एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अनंत बहादुर ने ग्राफ्टिंग पर किए जा रहे शोध कार्यों पर प्रकाश डाला तथा इस तकनीक से मृदा जनित बिमारियों के नियंत्रण के बारे में जानकारी दी.
संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. गोविन्द पाल ने ग्राफ्टिंग के आर्थिक पहलुओं से किसानों को बताया तथा सब्जियों से होने वाली आय के बारे में जानकारी दी. संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ. नागेन्द्र राय ने किसानों को ग्राफ्टिंग तकनीक को वृहद स्तर पर करने व प्रत्येक किसानों तक इस तकनीक को पहुंचाने की अपील की. साथ में ग्राफ्टेड बैंगन के पौध को खेतों में पौध से पौध की उचित दूरी, सिंचाई एवं खाद इत्यादि के बारे में जानकारी दी.
निदेशक डॉ. नागेन्द्र राय के अनुसार, ग्राफ्टिंग तकनीक किसानों के लिए बहुत फायदेमंद होती है. इसकी शुरूआत 2013-14 में हुई थी. इस तकनीक का इस्तेमाल उन इलाकों में ज्यादा फायदा करता है, जहां बरसात के बाद काफी दिनों तक पानी भरा रहता है. फिलहाल शुरुआती तौर पर इस पौधे को शहर में रहने वाले उन लोगों के लिए तैयार किया गया है, जिनके पास जगह कम है और वो बाजार की रसायन वाली सब्जियों से बचना चाहते हैं. बता दें कि भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के वैज्ञानिक मौसम के अनुसार अधिक पैदावार वाली सब्जियों की नई प्रजाति तैयार करते रहे हैं.
डॉ. राय ने बताया कि ग्राफ्टेड सब्जियों का पॉलीहाउस में उत्पादन एवं हाइटेक नर्सरी में पौध उत्पादन पर प्रशिक्षण किसानों को दिया जा रहा है. ग्राफ्टिंग विधि के माध्यम से एक ही पौधे से मल्टीपल्स पौधे कैसे तैयार किए जा सकते हैं. प्रोटेक्टिव फार्मिंग की प्रकार से की जाए. ताकि किसानों की आय को बढ़ाई जा सके. उन्होंने कहा कि टमाटर और आलू दोनों के पौधे को इंटीग्रेट कर एक ही पौधे से दोनों फसल प्राप्त की जा सकती है. इसके अलावा मल्टी क्रॉपिंग के बारे में जानकारी दी गई. दरअसल, इस प्रशिक्षण का उद्देश्य किसानों को उद्यमी बनाना तथा उनकी आय बढ़ाना है.