बाजार में आमतौर पर शिमला मिर्च का दाम दूसरी सब्जियों से बेहतर मिलता है. जिन किसानों ने यह बात समझी है वो आज अच्छा पैसा कमा रहे हैं. हमारे देश में बोई जाने वाली विभिन्न प्रकार की सब्जियों में शिमला मिर्च का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है. शिमला मिर्च में विटामिन-सी एवं विटामिन -ए तथा खनिज लवण जैसे आयरन, पोटेशियम, ज़िंक, कैल्शियम आदि पोषक तत्व अधिक मात्रा में पाये जाते हैं. शिमला मिर्च की बाज़ार में हमेशा मांग बनी रहती हैं. ऐसे में इस खरीफ सीजन में किसान अगर शिमला मिर्च के सही किस्म का चुनाव कर खेती करते हैं तों अच्छा उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पा सकते हैं. जानिए ऐसे ही शिमला मिर्च के उन्नत किस्मों के बारे में.
शिमला मिर्च की इस किस्म के पौधे मध्यम ऊंचाई के होते हैं. इस किस्म की मिर्च मोटी व गुदे वाली होती है. प्रत्येक मिर्च का वजन 100 से 150 ग्राम का होता है. इस किस्म की एक एकड़ भूमि में खेती करने पर 110 क्विंटल तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है. बॉम्बे (रेड) यह शिमला मिर्च की जल्दी पकने वाली किस्मों में से एक है. बॉम्बे रेड किस्म के पौधे लम्बे, मजबूत एवं फैलने वाले होते हैं. मिर्च का सही तरीके से विकास के लिए इसकी खेती के लिए छांव वाले स्थान का चयन करना उपयुक्त होता है.
इस किस्म को इंडो अमेरिकन हाईब्रिड सीड कंपनी द्वार विकसित किया गया है. इस किस्म के पौधे ऊपर कि तरफ बढ़ने वाले, घने, मजबूत व गहरी पत्ती लिए होते है. फल मोटे 3 से 4 प्रकोष्ठ वाले और चिकनी सतह के होते है. प्रत्येक फल का औसत वजन 150 ग्राम होता है. इसके बीज इंडो अमेरिकन हाइब्रिड सीड कंपनी के अधिकृत बीज भंडारों से प्राप्त किए जा सकते है.
यह जल्दी पकने वाली किस्म है. यह किस्म लम्बी, पौधे मज़बूत और शाखाएं फैलने वाली होती हैं. इसके फलों के विकास के लिए पर्याप्त छाया की जरूरत होती है. इसके फल गहरे हरे होते है तथा पकने के समय यह लाल रंग के हो जाते हैं, इसका औसतन वजन 130 से 150 ग्राम होता है. इसके फलों को ज्यादा समय के लिए स्टोर करके रखा जा सकता है. यह ज्यादा दूरी वाले स्थान पर ले जाने के लिए उचित होते है.
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पूसा दीप्ती शिमला मिर्च हाइब्रिड किस्म की शिमला मिर्च है. इस मिर्च का पौधा दिखने में माध्यम आकर का झाड़ीनुमा होता है. इस किस्म के शिमला मिर्च के मिर्च का रंग हल्का हरा होता है जो पकने के बाद गहरे लाल रंग में परिवर्तित हो जाता है. पौधे की रोपाई के 70 से 75 दिनों के बाद मिर्च पकने लगती है और हार्वेस्टिंग के लिए भी तैयार हो जाती है.
इस किस्म के फल घंटी नुमा होते है. यह फसल 70 से 75 दिन में तैयार हो जाती है. फल सडन और जीवाणु रोग सहनशील है. इसकी पैदावार 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.