Cotton Price: महाराष्ट्र की मंडियों में कितना है कॉटन का दाम, किसानों को फायदा या नुकसान?

Cotton Price: महाराष्ट्र की मंडियों में कितना है कॉटन का दाम, किसानों को फायदा या नुकसान?

अकेले भारत में दुनिया का 22 फीसदी कॉटन पैदा होता है. कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया अपने पहले फसल अनुमान में कहा है क‍ि 2023-24 में कॉटन उत्पादन 295.10 लाख गांठ होगा. जानिए किस क्वालिटी के कॉटन का महाराष्ट्र के किसानों को कितना मिल रहा है दाम. क्यों इस बार असमंजस में हैं राज्य के किसान. 

कॉटन के दाम को लेकर असमंजस में हैं किसानकॉटन के दाम को लेकर असमंजस में हैं किसान
सर‍िता शर्मा
  • Mumbai,
  • Nov 14, 2023,
  • Updated Nov 14, 2023, 11:35 AM IST

महाराष्ट्र देश का एक प्रमुख कॉटन उत्पादक है. यहां के किसान पिछले एक साल से अच्छे भाव का इंतजार कर रहे हैं. इस साल दाम अच्छा मिलेगा या खराब इसे लेकर असमंजस का माहौल बना हुआ है. यहां के संगमनेर में कॉटन का न्यूनतम दाम 5000 और  अधिकतम 6100 रुपये चल रहा है, लेकिन वरोरा में न्यूनतम दाम 7000 और अधिकतम 7200 रुपये क्विंटल है, जो एमएसपी से अधिक है. कॉटन की खेती करने वाले किसान इसलिए इस साल असमंजस में पड़े हुए हैं कि उन्हें घाटा होगा या मुनाफा. क्योंकि दाम की यह स्थिति काफी समय से बनी हुई है. पिछले एक साल से किसान एमएसपी से कम दाम पर कॉटन बेचने के लिए मजबूर थे, इसलिए उन्होंने इस बार खेती कम कर दी है.

केंद्र सरकार ने 2023-24 के लिए मध्यम रेशेवाली कपास की एमएसपी 6080 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 6620 रुपए प्रति क्विंटल कर दी है. जबकि लंबे रेशेवाली वैराइटी का एमएसपी 6380 रुपए से बढ़ाकर 7020 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है. किसानों को उम्मीद है कि इस साल दाम 8000 रुपये से ऊपर जाएगा क्योंकि देश में उत्पादन कम है, लेकिन जिस तरह से दाम स्थिर है उसे देखते हुए उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है.

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किन क्षेत्रों में कम होगा कॉटन का उत्पादन

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) ने उत्तरी क्षेत्र में पिछले वर्ष की तुलना में 43 लाख गांठ फसल का अनुमान लगाया है. उत्तरी क्षेत्र में राजस्थान, हरियाणा और पंजाब आते हैं. मध्य क्षेत्र में उत्पादन 179.60 लाख गांठ बताया गया है, जो पिछले साल के 194.62 लाख गांठ से काफी कम है. मध्य क्षेत्र में गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश आते हैं. उधर, दक्षिण क्षेत्र में उत्पादन पिछले साल के 74.85 लाख गांठ से कम होकर 67.50 लाख गांठ रहने का अनुमान है. दक्षिण क्षेत्र में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु आते हैं. एक गांठ 170 किलोग्राम कॉटन होता है. 

कितना कम हो सकता है उत्पादन

सीएआई ने अपने पहले फसल अनुमान में कहा है क‍ि 2023-24 में कॉटन उत्पादन 295.10 लाख गांठ होगा. जो पिछले 15 वर्षों में सबसे कम है. वर्ष 2023-24 के लिए अनुमान पिछले वर्ष के 318.90 लाख गांठ से 7.5 प्रतिशत कम है. कृषि क्षेत्र में कपास की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. अकेले भारत में दुनिया का 22 फीसदी कॉटन पैदा होता है.

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