हरियाणा के सोनीपत जिले में भावर गांव के पास सुंदर ब्रांच नहर में 50 फुट चौड़ी दरार आ गई, जिससे 500 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैली फसलें जलमग्न हो गईं. इतना ही नहीं नहर का पानी सड़क के ऊपर से बहकर गांव तक पहुंच गया. उपायुक्त मनोज कुमार ने भी दरार वाली जगह का दौरा किया और मामले की जांच के आदेश दिए. डीसी मनोज कुमार ने बताया कि दरार की जांच के लिए सिंचाई विभाग और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम गठित कर दी गई है. दरार के कारण किसानों को हुए नुकसान का भी पता लगाया जाएगा.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, सूचना मिलने पर सिंचाई विभाग के अधिकारियों की टीम मौके पर पहुंची और जींद जिले के अंटा हैड से नहर का पानी बंद करा दिया. रविवार सुबह करीब 11.30 बजे ग्रामीणों ने नहर में दरार देखी. उन्होंने तुरंत इसकी सूचना सिंचाई विभाग के अधिकारियों को दी. जींद से एक्सईएन पुनीत के नेतृत्व में सिंचाई विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और अंटा हैड से नहर में पानी बंद करा दिया, लेकिन शाम तक पानी बह रहा था.
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भवर गांव के पास नहर टूटने की सूचना मिलने पर कांग्रेस विधायक इंदुराज नरवाल मौके पर पहुंचे और किसानों के नुकसान का जायजा लिया. उन्होंने किसानों को 80 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की मांग की. आप नेता संदीप मलिक भी मौके पर पहुंचे और किसानों से मिले. किसानों ने कहा कि नहर का किनारा काफी कमजोर है और यही नहर टूटने का मुख्य कारण है.
बता दें कि पिछले दिनों पंजाब के फाज़िल्का जिला स्थित अबोहर में सिंचाई के लिए बनी नहर में दरार आने से सैकड़ों एकड़ खेत में जलभराव हो गया था. इससे कपास सहित दूसरी फसलों की भारी बर्बादी हुई थी. वहीं, स्थानीय किसानों का कहना था कि यदि समय रहते इसकी मरम्मत की गई होती, तो फसलों को और ज्यादा नुकसान नहीं होता. दरअसल, लूकपुरा नहर में टेल एंड उस्मानखेड़ा गांव के पास करीब 100 फुट चौड़ी दरार आने से सैकड़ों एकड़ में फैली कपास व अन्य फसलें जलमग्न हो गई थीं.
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तब किसान गुणवंत सिंह, गुरसेवक सिंह, दलजीत सिंह व प्रगट सिंह ने बताया था कि कुछ साल पहले नहर का पुनर्निर्माण किया गया था, लेकिन थोड़ी सी बारिश होने पर ही यह क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिससे किसानों की चिंता हर बार बढ़ जाती है. उन्होंने आरोप लगाया था कि नहर निर्माण के दौरान पैनलों के नीचे प्लास्टिक शीट ठीक से नहीं बिछाई गई, जिससे पानी बाहर निकल जाता है. एक अन्य किसान बख्शीश सिंह ने बताया था कि नहर के पास लगे सैकड़ों पेड़ जो सूख चुके हैं. ऐसे वे ये भी दरार का कारण बन रहे हैं. किसानों ने बार-बार अधिकारियों से इन सूखे पेड़ों को काटने की मांग की है.