महाराष्ट्र की प्रमुख तिलहन फसल सोयाबीन की स्थिति राज्य के नौ जिलों में काफी खराब है. कारण यह है कि पहले फसल कम बारिश की शिकार हुई और अब इस पर पीला मोज़ेक रोग का अटैक हुआ है. कुछ जगहों पर कवक और जड़ सड़न से भी खेती प्रभावित हुई है.
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस ने कैबिनेट बैठक में कृषि विभाग और राहत एवं पुनर्वास विभाग को संयुक्त रूप से सोयाबीन की खराब फसलों का पंचनामा तुरंत शुरू करने के निर्देश दिए हैं. ताकि प्रभावित किसानों को राहत मिल सके.
पहले सूखा और फिर सितंबर में भारी बारिश और तापमान में बदलाव ने सोयाबीन की खेती को प्रभावित किया है. विशेषकर चंद्रपुर, नागपुर, गढ़चिरौली, यवतमाल, सोलापुर, लातूर, वाशिम, नांदेड़ जिलों में सोयाबीन की फसल पीली पड़ रही है.
दरअसल, मोजेक वायरस जनित रोग है. जो मुख्य तौर पर सफेद मक्खी की चपेट में आने से लगता है. इस रोग से ग्रस्त पौधों की पत्तियों पर सफेद मक्खी के बैठने के बाद अन्य पौधों पर बैठने से रोग पूरे खेत की फसलों में फैल जाता है.
इस रोग के लगने पर फसल की पत्तियां पीली पड़ जाती हैं. इसके प्रकोप के कारण पत्तियां खुरदुरी हो जाती हैं. इससे फसल खराब हो जाती है. हालांकि, यह भी ध्यान रखें कि कई बार पौधों में जिंक की कमी होने पर भी पत्तियां पीली पड़ जाती हैं.
पीला मोजेक रोग के लक्षण
1.पेड़ों की पत्तियां आकार में छोटी हो जाती हैं.
2.पत्तियों के कुछ भाग हरे तथा कुछ पीले रंग के होते हैं.
3.पत्तियों की शिराओं के पास पीले धब्बे दिखाई देते हैं.
4.संक्रमित पेड़ की वृद्धि पूरी तरह से रुक जाती है.
5.पत्तियां झड़ जाती हैं और खुरदरी हो जाती हैं.
6.छोटी अवस्था में संक्रमित होने पर पूरा पौधा पीला पड़ जाता है.
7.फलियों में दाने नहीं होते या छोटे होते हैं, उत्पादन गिर जाता है.