Poultry Farming: मुर्गियों को हो सकता है सफेद दस्त रोग, बचाव में ये इलाज करें किसान

Poultry Farming: मुर्गियों को हो सकता है सफेद दस्त रोग, बचाव में ये इलाज करें किसान

मुर्गी पालन एक प्रकार की आर्थिक गतिविधि है जिसमें मुर्गी पालन के लिए मुर्गी, बत्तख, टर्की आदि का उत्पादन किया जाता है तथा खाने के लिए मांस और अंडे का उत्पादन किया जाता है. आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए किसान खेती-बाड़ी के साथ-साथ मुर्गी पालन करते हैं.

मुर्गियों में सफेद दस्त की समस्यामुर्गियों में सफेद दस्त की समस्या
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 05, 2024,
  • Updated Aug 05, 2024, 2:51 PM IST

हमारे देश में मुर्गी पालन का व्यवसाय बहुत तेजी से बढ़ रहा है और लाखों लोगों की आजीविका का साधन बन गया है. गरीबी उन्मूलन और बेरोजगार युवाओं के लिए यह एक अच्छा व्यवसाय साबित हो रहा है. इस व्यवसाय को लोकप्रिय बनाने के लिए नाबार्ड और अन्य प्रमुख बैंक भी ऋण उपलब्ध करा रहे हैं. लेकिन संसाधन संपन्न होने के बावजूद आवश्यकता के अनुसार उत्पादन न होने के कारण आज भी अंडे और चिकन मीट की आपूर्ति दक्षिण भारत से की जा रही है. वहीं मुर्गियों में होने वाली कुछ बीमारी की वजह से मुर्गीपालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. खासकर मुर्गियों को होने वाले सफ़ेद दस्त रोग की वजह से. तो आइए जानते हैं कैसे करें इसका इजाल.

क्या है सफेद दस्त रोग

यह बीमारी मुख्य रूप से चूजों में होती है, जिससे बड़ी संख्या में चूजे मर जाते हैं. बाद में यह बड़ी मुर्गियों में भी फैल जाती है. इस बीमारी से संक्रमित मुर्गियों के अंडों में भ्रूण मर जाते हैं. बीमार मुर्गियों का मल चूने जैसा सफेद होता है और मल त्याग के दौरान उन्हें दर्द होता है, कुछ पक्षी अंधे या लंगड़े भी हो जाते हैं. दस्त के कारण चूजों और मुर्गियों का पिछला हिस्सा चिपचिपा हो जाता है.

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उपचार का तरीका

यह दवा सभी पशु चिकित्सा दुकानों पर उपलब्ध है. 20 चूजों या 5 बड़ी मुर्गियों के लिए 2 चुटकी (2 ग्राम) दवा एक कप पानी (50 मिली) में घोलें और बीमार चूजों को 2-2 बूंद और बड़ी मुर्गियों को 5-5 बूंद सिरिंज के माध्यम से लगातार तीन दिन तक देने से रोग ठीक हो जाता है. दवा को पीने के पानी में घोलकर भी दिया जा सकता है. इस विधि में 40 चूजों या 10 बड़ी मुर्गियों के लिए एक कटोरी पानी (1 लीटर) में 4 चुटकी (4 ग्राम) दवा घोलें और मुर्गीघर में रखे पानी के बर्तन में दवा डालें और प्रभावित चूजों या मुर्गियों को अपनी इच्छानुसार यह पानी पिलाएं. ऐसा तीन दिन तक करें.

कैसे करें रोकथाम

मुर्गीघर और उसके आस पास की जगह की साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए. टेट्रासाइक्लिन पाउडर / लिक्सेन पाउडर / फयूरासोल पाउडर-उपर बतायी गयी दवा को आधी मात्रा में पीने वाले पानी में देने से इसकी रोकथाम की जा सकती है.

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