भारत में ये हैं मुर्गियों की 20 मान्यता प्राप्त नस्लें, कम खर्च में देती हैं भरपूर कमाई

भारत में ये हैं मुर्गियों की 20 मान्यता प्राप्त नस्लें, कम खर्च में देती हैं भरपूर कमाई

मुर्गियों के चयन के लिए आमतौर पर तीन प्रकार के पक्षी होते हैं. लेयर प्रकार की मर्गियां अंडों के उत्पादन के लिए बेस्ट होती हैं. ब्रॉयलर प्रकार की मुर्गियां मांस के लिए अच्छी होती हैं. दोहरी प्रकार की मुर्गियां अंडे और मांस दोनों के उत्पादन के लिए उपयुक्त होती हैं.

ओडिशा में 10 से ज्यादा मुर्गियों की जांच में एवियन फ्लू का खुलासा हुआ है. ओडिशा में 10 से ज्यादा मुर्गियों की जांच में एवियन फ्लू का खुलासा हुआ है.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 19, 2025,
  • Updated Jan 19, 2025, 9:00 AM IST

भारत में मुर्गी पालन बहुत बड़ा पेशा है. खासकर ग्रामीण इलाकों में. ग्रामीण इलाकों में भी आंगन में मुर्गी पालन कई परिवारों की आमदनी का जरिया है. उसमें भी महिलाएं सबसे ज्यादा लाभान्वित होती हैं. ऐसे में पालन-पोषण के लिए मुर्गियों का चयन किसानों का पहला महत्वपूर्ण निर्णय होता है. इसे देखते हुए मुर्गी पालने वाले किसानों को बाजार की मांग को समझना चाहिए और उसके अनुसार ही निर्णय लेना चाहिए. 

मुर्गियों के चयन के लिए आमतौर पर तीन प्रकार के पक्षी होते हैं. लेयर प्रकार की मर्गियां अंडों के उत्पादन के लिए बेस्ट होती हैं. ब्रॉयलर प्रकार की मुर्गियां मांस के लिए अच्छी होती हैं. दोहरी प्रकार की मुर्गियां अंडे और मांस दोनों के उत्पादन के लिए उपयुक्त होती हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक, किसान को किस तरह की मुर्गी का पालन करना चाहिए, इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र  के विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए.

इसके अलावा किसानों को ये भी जान लेना चाहिए कि देश में मुर्गियों की 20 मान्यता प्राप्त नस्लें हैं जो राज्यों के मुताबिक हैं. किसानों को इन मान्यता प्राप्त नस्लों को ही पालने की सलाह दी जाती है. आइए जान लेते हैं ये 20 नस्लें कौन सी हैं.

मुर्गियों की 20 मान्यता प्राप्त नस्लें

  • अंकलेश्वर-गुजरात 
  • अरावली-गुजरात 
  • असील-छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश
  • बुसरा-गुजरात और महाराष्ट्र 
  • चटगांव-मेघालय और त्रिपुरा 
  • डंकी-आंध्र प्रदेश 
  • दाओथिगीर- असम 
  • घेगस-आंध्र प्रदेश और कर्नाटक 
  • हेरिंगहाटा ब्लैक-पश्चिम बंगाल 
  • कड़कनाथ-मध्य प्रदेश 
  • कालहस्ती-आंध्र प्रदेश 
  • कश्मीर फेवरोला-जम्मू और कश्मीर 
  • मीरी-असस 
  • निकोबारी-अंडमान और निकोबार 
  • पंजाब ब्राउन-पंजाब और हरियाणा 
  • तेलीचेरी-केरल 
  • मेवाड़ी-राजस्थान 
  • कौनयेन-मणिपुर 
  • हंसली-ओडिशा 
  • उत्तर-उत्तराखंड 

ICAR की पत्रिका खेती में दी गई जानकारी के मुताबिक, मुर्गी पालन में दो प्रकार की नस्लों का उपयोग होता है: देसी/स्थानीय और उन्नत नस्लें. भारत में विकसित उन्नत नस्लें, स्थानीय नस्लों की तुलना में 2-3 गुना अधिक उत्पादन करती हैं. इसलिए किसानों को आंगन में कुक्कुट पालन के लिए उन्नत नस्लों का चयन करना चाहिए. यदि देसी/स्थानीय नस्लों की मांग अधिक है, तो किसानों को इन्हें ही पालना चाहिए.

आंगन में कुक्कुट पालन भारत में एक बहुत पुरानी प्रथा है. हालांकि किसानों को बेहतर उत्पादकता और मुर्गियों में उच्च मृत्यु दर से बचाने के लिए प्रशिक्षण लेना चाहिए. कुक्कुट उत्पादन से अधिक आय पाने के लिए ये आधुनिक प्रबंधन प्रथाएं बहुत प्रायोगिक और फायदेमंद होती हैं.

 

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