भारत के सी-फूड क्षेत्र का दायरा बढ़ तो रहा है, लेकिन इसमें कई चुनौतियां अभी भी जस की तस बरकरार हैं. साल 2024 में भारत को सी-फूड एक्सपोर्ट के मामले में अमेरिका से काफी सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, जिसके चलते देश के कुल शिपमेंट पर भी असर देखने को मिला और एक्सपोर्ट में 17 प्रतिशत की कमी देखी गई. अमेरिका भारत के लिए सी-फूड आयात करने वाला एक बड़ा बाजार है. वहीं, अमेरिका में सी-फूड की सप्लाई के लिए इक्वाडोर भी अपनी पैंठ बनाने में लगा हुआ है. यही वजह है कि अमेरिकी बाजार में सी-फूड की सप्लाई में बढ़ोतरी भारत के लिए मुख्य चुनौती है.
पिछले साल अमेरिका ने इंडियन सी-फूड पर नए टैक्स लगा दिए है, जिसके चलते एक्सपोर्ट कुछ जगहों तक ही सीमित रह गया है. अमेरिका का आरोप है कि भारत से उसके यहां प्रोड्यूस डंप की जा रही है. वहां के कॉमर्स डिपार्टमेंट द्वारा इन आरोपों की जांच और सी-फूड इंपोर्ट पर 5.77 प्रतिशत की दर से काउंटरवेलिंग ड्यूटी (सीवीडी) लगाने से इंडियन सी-फूड सेक्टर के लिए और मुश्किलें खड़ी हो सकती है. अगर डंपिंग के आरोप साबित होते हैं तो सीवीडी के अलवा एंटी-डंपिंग शुल्क (एडीडी) भी लगाया जाएगा.
'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, के.एन. सीफूड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महासचिव राघवन ने कहा कि भारतीय मछुआरों मछली पकड़ने के लिए जिन जहाजों और मछली पकड़ने के जालों का इस्तेमाल कर रहे हैं, अभी उनमें टर्टल एक्सट्रूडर डिवाइस (TED) लगाने का कार्यक्रम शुरु नहीं हुआ है. इसलिए भारत से अमेरिका समुद्री झींगे के निर्यात पर बैन लगा हुआ है.
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हालांकि, चीन, यूरोपीय संघ, जापान और रूस जैसे बाजारों में हालात बहुत ज्यादा नहीं बदले हैं. यूरोपीय संघ भारत से पहुंचने वाली खेप में एंटीबायोटिक्स की जांच करता है, लेकिन उसके पास फुल कैपिसिटी सिस्टम नहीं है. इसलिए वह अभी सिर्फ 50 प्रतिशत की जांच ही कर पाता है. ऐसे में जांच में देरी के कारण सप्लाई चेन में टाइमिंग को लेकर समस्या बनी रहती है और एक्सपोर्टर्स की लागत बढ़ जाती है.
वहीं, जापान का आयात किए जाने वाले सीफूड की पूरी खेप में एंटीबायोटिक्स की मौजूदगी की जांच पर जोर देता है. रूस ने भी भारतीय निर्यात निरीक्षण परिषद से मंजूरी मिलने के बावजूद निर्यात के लिए नई यूनिट्स को लिस्ट करने की अनुमति नहीं दी है. करीब 60 से ज्यादा यूनिट्स लिस्टिंग का इंतजार कर रही हैं.
भारत ने अप्रैल से नवंबर 2024 के दौरान 4,946.72 मिलियन डॉलर के समुद्री उत्पाद एक्सपोर्ट किए, जबकि 2023 में इस अवधि के दौरा 5,218 मिलियन डॉलर मूल्य के उत्पाद एक्सपोर्ट किए गए थे. यानी 17 प्रतिशत की गिरावट हुई.