ओडिशा में दूध उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके लिए मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने 'मुख्यमंत्री कामधेनु योजना' (एमकेवाई) शुरू की है. इस योजना के तहत किसानों को पशुपालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. योजना के तहत किसानों को दुधारू गाय-भैंस खरीदने के लिए सब्सिडी पर लोन मुहैया कराया जा सकता है. सरकार को उम्मीद है कि इससे प्रदेश के लाखों किसानों को फायदा होगा. वे डेयरी प्रोडक्ट बेच कर अच्छी कमाई कर पाएंगे, इससे उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी होगी.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री मोहन माझी की अध्यक्षता में शनिवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक हुई. बैठ में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना, मुख्यमंत्री कामधेनु योजना (एमकेवाई) को मंजूरी दी गई है. खास बात यह है कि इस योजना के तहत सरकार पांच सालों में 1,423.47 करोड़ रुपये खर्च करेगी. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस योजना से 15 लाख से अधिक डेयरी किसान लाभान्वित होंगे.
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वहीं, सरकार गोपालन योजना (पशुपालन योजना) के तहत 476 करोड़ रुपये खर्च करेगी, जिससे पांच साल में 31,500 से अधिक किसानों को लाभ मिलेगा. इसने 6,000 से अधिक किसानों को लक्षित करके भैंस उद्यमिता विकास पर 110 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है. सरकार ने मवेशियों के बीमा पर 187 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है, जिसमें बीमा लागत का 85 फीसदी हिस्सा वहन किया जाएगा, जबकि किसान शेष 15 फीसदी वहन करेंगे.
जबकि, बछड़े पालन योजना पर 216 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और डेयरी किसानों को प्रोत्साहन के तौर पर 166 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. चारा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार 200 करोड़ रुपये खर्च करेगी. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार 25 करोड़ रुपये के बजटीय समर्थन से ओएमएफईडी को मजबूत करने की योजना बना रही है.
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वहीं, कल खबर आई थी कि ओडिश के राशन कार्ड होल्डर्स के लिए खुशखबरी है. कहा जा रहा है कि राज्य सरकार अब राशन कार्ड धारकों को चावल के साथ-साथ गेहूं भी दे सकती है. अगर ऐसा होता है कि राज्य के राशन कार्ड होल्डर्स को 8 साल बाद फिर से गेहूं मिलेगा, क्योंकि केंद्र ने गेहूं-चावल अनुपात में संशोधन किया है. साथ ही राज्य को खाद्यान्न का आवंटन बढ़ा दिया है. सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत ओडिशा सहित 9 राज्यों के लिए चावल और गेहूं के आवंटन में संशोधन किया गया है.