पशुओं में तेजी से फैलने वाली संक्रामक बीमारी खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) बेहद घातक है. कई बार इस बीमारी से पशुओं की मौत भी हो जाती है, जबकि दुधारू पशुओं की उत्पादन मात्रा घट जाती है. अगर यह बीमारी गर्भाधान प्रक्रिया से गुजर रहे जानवर को हो जाती है तो अजन्मे शिशु पर खतरा रहता है. भारत में पशुओं के लिए बड़ी समस्या बनी इस बीमारी को अगले 6 साल में जड़ से खत्म करने पर तेजी से काम किया जा रहा है. पीएम मोदी ने 4 अप्रैल को बिहार के जमुई में रैली में कहा कि हमने पशुधन रक्षा का संकल्प लिया है और उनकी सरकार इस बीमारी से निजात दिलाने के लिए टीकाकरण अभियान चला रही है.
पीएम नरेंद्र मोदी ने बिहार के जमुई में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि बीजेपी सरकार इंसानों की सेवा तो कर ही रही है, हमने पशुधन की भी रक्षा करने का तय किया है. केंद्र सरकार ने बिहार के करीब 2 करोड़ पशुओं को खुरपका-मुंहपका बीमारियों से बचाने के लिए मुफ्त में टीकाकरण का अभियान चलाया है. मोदी पशुओं को भी टीका मुफ्त में लगा रहा है.
इससे पहले पीएम मोदी ने फरवरी में गुजरात में एक कार्यक्रम में खुरपका-मुंहपका रोग के कारण मवेशियों को होने वाली कठिनाइयों और पशुपालकों को होने वाले हजारों करोड़ रुपये के भारी नुकसान पर अंकुश लगाने के सरकार के प्रयास के बारे में बताया था. प्रधानमंत्री ने कहा कि 15,000 करोड़ रुपये की लागत से खुरपका-मुंहपका की रोकथाम के लिए मुफ्त टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. अभियान के तहत फरवरी तक 7 करोड़ से अधिक टीकाकरण किया जा चुका है. प्रधानमंत्री ने कहा कि हम 2030 तक खुरपका-मुंहपका रोग को जड़ से मिटाने के लिए काम कर रहे हैं.
मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि खुरपका और मुंहपका रोग टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण में पूरे देश में मार्च 2023 तक अबतक 25 करोड़ से अधिक मवेशियों की टारगेट आबादी में से लगभग 24 करोड़ मवेशियों और भैंसों को कवर किया गया है. यानी 95 प्रतिशत से ज्यादा कवरेज हासिल कर लिया गया है. बता दें कि इस बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए साल 2019 में मंत्रालय ने राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) की शुरुआत की थी.