बिहार की राजधानी पटना में एक बार फिर बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ गया है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूर्वी परिसर में इसके फैलने की पुष्टि हुई है. संस्थान के निदेशक डॉ. अनुपम दास ने बताया कि कुछ दिन पहले अचानक फार्म में कई मुर्गियां मर गईं. इसके बाद इनके सैंपल जांच के लिए ICAR की हाई सिक्योरिटी लैब भोपाल भेजे गए थे. जांच रिपोर्ट में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई, जिसके बाद परिसर में स्थित सभी मुर्गी वार्ड खाली करा दिए गए हैं. साथ ही करीब 1 किलोमीटर के दायरे में स्थित सभी पोल्ट्री फार्म को अलर्ट कर दिया गया है. इसके अलावा 1 किलोमीटर के बाहर निगरानी की जा रही है.
आईसीएआर कैंपस के सामने स्थित बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में भी एक पोल्ट्री फार्म है, जो इस खतरे से प्रभावित हो सकता है. हालांकि आईसीएआर पटना में मरने वाली मुर्गियां रिसर्च से जुड़ी थीं.
आईसीएआर पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पीसी चंद्रन ने बताया कि संस्थान द्वारा भोपाल भेजे गए सैंपल की जांच रिपोर्ट में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है. इसके बाद बिहार सरकार के पशुपालन विभाग के अधिकारियों की निगरानी में अनुसंधान फार्म की सभी मुर्गियों को मार दिया गया. इनमें करीब 130 मुर्गियां और 60 बत्तखें शामिल थीं, जिन्हें मारकर जमीन में दफना दिया गया. पूरे फार्म की सफाई भी की जा रही है और अब वहां कोई मुर्गी या बत्तख नहीं बची है.
ये भी पढ़ें: गर्मी में पशुओं के लिए हरा चारा मिलेगा भरपूर, किसान मार्च में कर लें इन 3 घासों की खेती
बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पोल्ट्री सीड प्रोजेक्ट के प्रभारी डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि आईसीएआर पटना में बर्ड फ्लू के मामले सामने आने के बाद विश्वविद्यालय भी अपने फार्म में मौजूद पक्षियों को मारेगा. साथ ही उनके दानों और अन्य चीजों को भी जमीन में गाड़ दिया जाएगा. यह प्रक्रिया जल्द ही पूरी कर ली जाएगी, क्योंकि आईसीएआर के जिस फार्म में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है, वह विश्वविद्यालय के पोल्ट्री फार्म से 1 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित है.
डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि अगर किसी पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू का मामला सामने आता है तो भारत सरकार के निर्देशानुसार उस फार्म के 1 किलोमीटर के दायरे में स्थित सभी पोल्ट्री फार्म के पक्षियों को मार दिया जाता है, चाहे वे सरकारी हों या निजी. स्वस्थ मुर्गियों को भी मारने का प्रावधान है, क्योंकि यह एक वायरल बीमारी है. हालांकि आम लोगों और पोल्ट्री कारोबारियों को ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है.
ये भी पढ़ें: 10 गायों के लिए पाएं 10 लाख तक का लोन, प्राकृतिक खेती को भी मिलेगा बढ़ावा
डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि बर्ड फ्लू को फैलने से रोकने के लिए सावधानी बहुत जरूरी है. पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े लोगों को अपने फार्म के आसपास ऊंचे पेड़ों की टहनियों को काट देना चाहिए, ताकि कौवे वहां न बैठ सकें. फार्म के आसपास कौवे दिखाई दें तो उन्हें तुरंत भगा देना चाहिए.
डॉ. पंकज कुमार ने पोल्ट्री फार्म में जैव सुरक्षा नियमों का पालन करने की सलाह दी. किसी भी बाहरी व्यक्ति को फार्म में प्रवेश न करने दें. मुर्गियों को ले जाने वाले वाहनों को फार्म के बाहर ही रोक दिया जाए. साथ ही फार्म में काम करने वाले मजदूरों को अलग-अलग कपड़े पहनने चाहिए- फार्म के अंदर के लिए अलग और बाहर जाने के लिए अलग. अगर उचित सावधानी बरती जाए तो बर्ड फ्लू का प्रकोप ज्यादा नहीं बढ़ेगा. फिलहाल बिहार में इसका व्यापक असर नहीं देखा जा रहा है. आईसीएआर में जिन मुर्गियों पर इसका असर देखा गया है, वे शोध से जुड़ी थीं. अभी तक बॉयलर और लेयर मुर्गियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि नहीं हुई है.
पोल्ट्री विशेषज्ञों के अनुसार, अगर किसी पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू फैलता है, तो कुछ प्राथमिक लक्षण दिखाई देते हैं. मुर्गियां खाना-पीना बंद कर देती हैं. अचानक बड़ी संख्या में मुर्गियां मरने लगती हैं. अगर पहले दिन 20 मुर्गियां मरती हैं, तो दूसरे दिन यह संख्या दोगुनी हो जाती है. अगर किसी पोल्ट्री फार्म में ऐसी स्थिति दिखे, तो तुरंत जिला पशुपालन विभाग को सूचित करें.