एक बार फिर लंपी बीमारी ने अपने पैर पसारना शुरू कर दिया है. लंपी की चपेट में इस वक्त सबसे पहले महाराष्ट्र का नांदेड़ जिला आया है. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक अब तक करीब 493 से ज्यादा पशुओं की मौत लंपी की चपेट में आने से हो गई है.
खतरे को देखते हुए नांदेड़ प्रशासन ने पूरे जिले को लंपी स्किन डिजीज से प्रभावित जिला घोषित कर दिया है. ताजा आंकड़े के मुताबिक, नांदेड़ जिले में अभी तक 3618 से अधिक मवेशी इस वायरल बीमारी की चपेट में आ गए हैं. इसमें छोटे मवेशियों की संख्या अधिक है.
जिले में मवेशियों की संख्या 5 लाख 2 हजार 428 है. इनमें से 4 लाख 67 हजार को इस बीमारी से बचाव का टीका लगाया जा चुका है. यानी करीब 93 फीसदी टीकाकरण हो चुका है.
नांदेड़ में "माजा गोटा स्वच्छ गोटा" अभियान चलाया जा रहा है. चूंकि नांदेड़ जिले को लंपी प्रभावित घोषित कर दिया गया है. इसलिए जिले के बाहर से जानवरों को नांदेड़ लाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. जिले के चेक पोस्ट पर बाहर से आने वाले पशुओं की जांच की जा रही है. उन्हें वहीं से वापस भेजा जा रहा है. क्योंकि इस रोग का प्रसार संपर्क में आने से अधिक होता है.
धिकारी ने कहा कि कलेक्टर ने लोगों से संक्रमित और गैर-संक्रमित मवेशियों को अलग करने, कीटाणुनाशक का छिड़काव सुनिश्चित करने की अपील की है, जबकि अधिकारियों को स्थिति पर सख्ती से निगरानी करने के लिए भी कहा गया है. राज्य की सीमा पर चेक पोस्ट स्थापित किए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी संक्रमित मवेशी पड़ोसी राज्य तेलंगाना से नांदेड़ में प्रवेश न करे.
लंपी स्किन डिजीज एक वायरल बीमारी है जिसमें बुखार, मवेशियों की त्वचा पर गांठें दिखाई देती हैं. इससे दूध उत्पादन में अस्थायी कमी, गायों में अस्थायी या स्थायी बांझपन, खाल को नुकसान और कभी-कभी मृत्यु भी हो जाती है.