बढ़ती जनसंख्या की भोजन की मांग को पूरा करने और खेतों से अधिक उपज प्राप्त करने के लिए किसान खेतों में अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते नजर आ रहे हैं. बुआई से पहले खेतों में रासायनिक उर्वरकों का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है ताकि बंपर पैदावार मिल सके. लेकिन किसान यह भूल रहे हैं कि इसका असर मिट्टी की उर्वरता पर पड़ रहा है. परिणामस्वरूप, भविष्य में मिट्टी की उर्वरता पूरी तरह नष्ट हो सकती है. जिसका खामियाजा न सिर्फ किसानों को बल्कि पूरे देश को भुगतना पड़ सकता है. रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग और अन्य कारणों से देश में खेती योग्य भूमि घटती जा रही है. किसान उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करते हैं, लेकिन यह खाद भूमि के स्वास्थ्य और उर्वरता को कम कर रही है. कई बार किसानों के पास इतने पैसे भी नहीं होते कि वे रासायनिक खाद खरीदकर फसलों पर छिड़क सकें. ऐसे में आप मटका खाद से कम खर्च में उत्पादन बढ़ा सकते हैं.
मटका खाद 100 प्रतिशत शुद्ध जैविक खाद है. इसके प्रयोग से पौधों को भरपूर ऊर्जा मिलती है और पौधे अच्छे से विकास करते हैं. अन्य जैविक खादों की तरह मटका खाद भी हमारे आसपास उपलब्ध चीजों से बहुत कम लागत पर तैयार की जा सकती है.
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इसे बनाने के लिए सबसे पहले एक बर्तन में 15 लीटर साफ पानी लें और उसमें 250 ग्राम गुड़ मिलाकर अच्छे से घोल तैयार कर लें. फिर बर्तन में 15 लीटर गोमूत्र और 15 किलो गोबर डालें और 4-5 मिनट तक सीधी दिशा में डंडे से हिलाएं. इसके बाद विपरीत दिशा में हिलाएं.
इसके बाद मटके का मुंह ढक्कन से बंद कर दें और उस पर गाय के गोबर और मिट्टी का लेप लगा दें. अब इस बर्तन को किसी छायादार जगह पर रख दें. 7 से 10 दिन बाद मटका खाद तैयार हो जाएगी. इस खाद को एक ड्रम में पलट लें और इसमें 150 लीटर पानी मिला दें. बाद में इसे छानकर फसल पर छिड़काव किया जाता है.
मटका खाद का प्रयोग खेतों में बुआई से दो दिन पहले करें तथा दूसरा छिड़काव एक माह बाद करें. जब फसल में अच्छे फूल आने लगें तो मटका खाद का तीसरा छिड़काव करें. एक गमला एक बीघे जमीन के लिए खाद बन जाता है. बुआई के 30 दिन या 50 दिन बाद 30 लीटर कम्पोस्ट को 200 लीटर पानी में मिलाकर फसल की जड़ों पर छिड़काव करें. इसका उपयोग तभी करें जब मिट्टी में बहुत अधिक नमी हो.
मटका खाद तैयार होने के दो से तीन दिन के अंदर उसका उपयोग करें. अधिक समय तक रखे मटका खाद से उचित लाभ नहीं मिलता है. जब आप इसका दूसरा और तीसरा छिड़काव कर रहे हों तो दोबारा मटका खाद बना लें. इसके अलावा मटका खाद बनाने के लिए गाय का गोबर और गोमूत्र 7 दिन से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए.
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