निर्यातबंदी खत्म होने के पांच दिन बाद भी महाराष्ट्र में किसानों द्वारा बेचे जाने वाले प्याज के दाम नहीं बढ़े हैं. अभी भी किसानों को सिर्फ 1 और 2 रुपये प्रति किलो के दाम परप्याज बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है.किसानों का कहना है कि उन्हें एक्सपोर्ट खुलने का कोई भी फायदा नहीं मिला. क्योंकि मंडी में दाम पहले की तरह ही मिल रहे हैं, जबकि एक्सपोर्ट खुलने की बात सामने आते ही उपभोक्ताओं के लिए व्यापारियों ने दाम बढ़ा दिए हैं. किसानों को फायदा नहीं हुआ और उपभोक्ताओं को नुकसान होने लगा. महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार 8 मई को प्याज का अधिकतम दान सिर्फ 23 रुपये प्रति किलो तक रहा, जबकि न्यूनतम दाम सिर्फ 1 रुपये किलो रहा.
किसानों और निर्यातकों ने काफी कोशिश करने के बाद प्याज की निर्यात बंदी खुलवाने में कामयाबी पाई थी. किसानों को उम्मीद थी कि निर्यात खुलने के बाद 30 से 35 रुपये प्रति किलो तक उन्हें दाम मिलने लगेगा. हालांकि अब आरोप है कि सरकार ने निर्यात बंदी तो खोल दी लेकिन उसमें दो बड़ी शर्तें लगा दी हैं, जिसकी वजह से जितना दाम बढ़ने की उम्मीद थी उतना दाम नहीं बढ़ा. किसानों को अब भी लागत मूल्य से कम दाम पर प्याज बेचना पड़ रहा है. इसलिए किसान कह रहे हैं कि ऐसी निर्यात बंदी खोलने का क्या फायदा.
ये भी पढ़ें: नासिक की किसान ललिता अपने बच्चों को इस वजह से खेती-किसानी से रखना चाहती हैं दूर
केंद्र सरकार ने 4 मई को प्याज की निर्यात बंदी खत्म कर दी. लेकिन यह शर्त लगा दी कि कोई भी एक्सपोर्टर 550 डॉलर प्रति टन से कम कीमत पर प्याज का निर्यात नहीं कर सकेगा. साथ ही उस पर 40% की एक्सपोर्ट ड्यूटी लगेगी. किसानों का आरोप है कि इन दोनों शर्तों की वजह से ही निर्यात बंदी खोलने का उन्हें कोई फायदा नहीं मिल रहा है. सोलापुर मंडी में किसानों को 8 मई को प्याज का न्यूनतम दाम सिर्फ 100 रुपये प्रति क्विंटल मिला. अकलुज और बारामती में 300 और धुले, मंगलवेढा और देवला में दाम सिर्फ 200 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
ये भी पढ़ें: Onion Export Ban: जारी रहेगा प्याज एक्सपोर्ट बैन, लोकसभा चुनाव के बीच केंद्र सरकार ने किसानों को दिया बड़ा झटका
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today