प्याज की निर्यातबंदी खत्म होने के चार दिन बाद भी प्याज के थोक दाम में कोई खास वृद्धि नहीं हुई है. मंडियों किसानों को 2 से लेकर 25 रुपये किलो तक का दाम मिल रहा है. यह अलग बात है कि निर्यातबंदी खत्म होने का आदेश आते ही व्यापारियों ने उपभोक्ताओं के लिए दाम बढ़ा दिए हैं. लेकिन अब तक इस आदेश का किसानों को फायदा नहीं मिला है. महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार 7 मई को संगमनेर में किसानों को सिर्फ 2 रुपये किलो के दाम पर प्याज बेचना पड़ा. इसी तरह येवला में 3 और मनमाड में सिर्फ 4 रुपये किलो के दाम पर किसानों को प्याज बेचना पड़ा. राज्य में किसान परेशान हैं कि आखिर निर्यात खुलने के बाद भी उन्हें ज्यादा दाम क्यों नहीं मिल रहा है.
किसानों का कहना है अगर निर्यातबंदी खुलने के बाद भी किसानों को इतना कम दाम मिलेगा तो सरकार को सोचना पड़ेगा कि उसकी पॉलिसी में कोई गड़बड़ है. निर्यात के लिए 550 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य के ऊपर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाना ठीक नहीं है. इससे प्याज एक्सपोर्ट पर्याप्त नहीं हो पाएगा. महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि ऐसा लग रहा है कि सरकार सिर्फ किसानों को मैसेज देना चाहती है, उन्हें फायदा नहीं दिलाना चाहती. इसीलिए निर्यातबंदी खोलने के बाद भी कुछ ऐसी शर्तें लगाई गई हैं जिसकी वजह से दाम सही नहीं मिल रहा है.
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दिघोले का कहना है कि अगर निर्यातबंदी खुलने के बाद भी मंडियों में किसानों को अधिकतम सिर्फ 2500 रुपये प्रति क्विंटल तक का ही दाम मिलेगा तो फायदा नहीं होगा. न्यूनतम दाम सबसे ज्यादा किसानों को मिलता है और राज्य की अधिकांश मंडियों में दाम 200 से लेकर 1000 रुपये प्रति क्विंटल तक ही मिल रहा है. महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक है और यहां के किसानों के आंदोलन और निर्यातकों की मेहनत की वजह से सरकार ने 4 मई को निर्यातबन्दी खत्म कर दी थी. महंगाई रोकने के लिए सरकार ने 7 दिसंबर 2023 को प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी थी.
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