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गन्ने की खोई से कप बनाते हैं नवगछिया के रितेश, फ्रूट वेस्ट से खड़ा किया लाखों का बिजनेस

गन्ने की खोई से कप बनाते हैं नवगछिया के रितेश, फ्रूट वेस्ट से खड़ा किया लाखों का बिजनेस

रितेश बताते हैं कि गन्ने के खोई, केले थंब, धान की भूसी और सब्जी और फलों के वेस्ट से वो कप बनाते हैं. इसमें वो किसी भी प्रकार के केमिकल का उपयोग नहीं करते हैं. रितेश बताते है की उन्होंने इंटर की पढ़ाई एग्रीकल्चर से की है और वो एग्रीकल्चर में ही अपना भविष्य आजमाना चाहते थे.

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गन्ने की खोई से बना कप गन्ने की खोई से बना कप

भारत में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के बाद बिहार में भी गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर होती है. लोग खेतों में गन्ने से रस निकाल तो लेते हैं, लेकिन उसकी खोई यानी छिलका यूं ही बर्बाद हो जाती है. कई लोग इसे खेतों में ही जला देते हैं, जिससे काफी प्रदूषण फैलता है, लेकिन नवगछिया के रहने वाले रितेश ने गन्ने की खोई से बड़े पैमाने पर कप, प्लेट, कटोरी बनाना शुरू कर दिया है. रितेश गन्ने के वेस्ट को प्रोसेस करते हैं. इससे वह इको फ्रेंडली सामान बनाते हैं. ऐसे में आज उनका दायरा बिहार सहित मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उड़ीसा जैसे राज्यों में भी फैला हुआ है.

ग्राहक कर रहे हैं प्रोडक्ट को पसंद

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगते ही बाजार फिर से खुद को नई व्यवस्था के अनुरूप ढालने लगा है. बाजार में फिलहाल डिस्पोजल थाली, प्लेट, कटोरा इत्यादि उत्पाद पहुंचने लगे हैं. ऐसे में गन्ने की खोई से बने उत्पाद खूबसूरत और टिकाऊ होने के कारण ग्राहक ज्यादा पसंद भी करने लगे हैं. ग्राहक भी दुकान पर पहुंचते ही सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प पर चर्चा करते हुए नए उत्पाद देखना और खरीदना पसंद कर रहे हैं.

गन्ने की खोई से बने उत्पाद
गन्ने की खोई से बने उत्पाद

यूट्यूब वीडियो से आया आईडिया

रितेश बताते हैं कि गन्ने के खोई, केले थंब, धान की भूसी और सब्जी और फलों के वेस्ट से वो कप बनाते हैं. इसमें वो किसी भी प्रकार के केमिकल का उपयोग नहीं करते हैं. रितेश बताते है की उन्होंने इंटर की पढ़ाई एग्रीकल्चर से की है और वो एग्रीकल्चर में ही अपना भविष्य आजमाना चाहते थे, लेकिन फिर पारिवारिक दिक्कतों के कारण स्नातक में आर्ट्स लेना पड़ा. यूट्यूब से वीडियो देखकर इस उद्योग को शुरू करने का मन में इच्छा हुई.

यूट्यूब से आया आईडिया
यूट्यूब से आया आईडिया

शुगर मरीजों के लिए फायदेमंद

रितेश ने बताया कि इस उद्योग को शुरू किए हुए उन्हें 3 महीने हो चुके हैं. वहीं उनके बनाए गए उत्पाद का बाजार में बहुत अच्छा रिस्पांस मिल रहा है, लोग इसको काफी पसंद भी कर रहे है. साथ ही जो शुगर मरीज होते हैं वो बहुत ज्यादा पसंद कर रहे है क्योंकि वो चीनी डालकर चाय नही पीते है और अगर वो गन्ने के खोई से बने कप में चाय पीते है तो उनको हल्के मिठास का अनुभव होता है.

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना से 6 लाख का लोन लेकर काम की शुरुआत की है. अभी रितेश के उद्योग में उनकी मां पूरा सहयोग कर रही हैं. साथ ही अभी रितेश के बनाएं गए कप लोकल मार्केट से लेकर अन्य राज्यों में भी जा रहा है. (सुजीत कुमार की रिपोर्ट)