आम और लीची के पेड़ों पर लटके फल देखकर सभी का मन लुभा रहा होगा कि अब बेहतर उत्पादन मिलेगा. लेकिन बढ़ते तापमान के कारण नमी और पानी की कमी के कारण फल फटने की समस्या आती है, जिससे आर्थिक नुकसान होता है. लीची और आम में फलों का फटना, एक सामान्य विकार है, जो वातावरण में बदलाव के कारण होता है. जैसे सूखे के बाद आचानक बारिश या अधिक सिंचाई के कारण फल फटने लगते हैं. दूसरा, फलों में बोरान, कैल्शियम की कमी के कारण फल फटने लगते हैं, जिसमें आम की समस्या अधिक देखने को मिलती है. यह किसानों को समय-समय पर परेशान करती है. आम और लीची के फलों के फटने की समस्या से बचा जा सकता है और बेहतर उत्पादन पाया जा सकता है. इसके लिए कुछ जरूरी उपाय करने होंगे.
आरपीसीएयू कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के प्लांट पैथोलॉजी और नेमेटोलॉजी के हेड डॉ संजय कुमार सिंह के अनुसार आम और लीची के बाग में फल को फटने से बचाने के लिए नमी का स्तर एक समान बनाए रखना जरूरी है. इसके लिए सिंचाई का एक नियमित शेड्यूल बनाएं. नमी के उतार-चढ़ाव के कारण फल फटते हैं. बाग में ज़्यादा पानी देने से बचें, खासकर उस समय जब फलों का विकास हो रहा है.
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मिट्टी की नमी और तापमान को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए पेड़ों के जड़ के पास चारों ओर पुआल या घास फूस का मल्च लगाएं. इससे अचानक तापमान के उतार-चढ़ाव की संभावना कम हो जाती है, जिससे फल कम फटते हैं. आम के गुच्छों में ज्यादा फल लगे हैं तो उसमें कुछ फलों को तोड़ लें. इससे फलों के बीच पोषक तत्वों और पानी के लिए प्रतिस्पर्धा कम होती है और फल कम फटते है. इससे फलों की गुणवत्ता बेहतर होती है.
डॉ सिंह के अनुसार, फलों के फटने की समस्या में बोरान की कमी एक मुख्य कारण होती है. आम और लीची के फटने की समस्या अधिक होने पर, किसानों को 15 अप्रैल से पहले या उसके आस पास, प्रति लीटर पानी में 4 ग्राम घुलनशील बोरेक्स का घोल छिड़कना चाहिए. उसके बाद, उन्हें सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ ज्यादा घुलनशील बोरान का उपयोग करना चाहिए. 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल के फटने की समस्या में भारी कमी आती है. जब बारिश अधिक होती है या आर्द्रता बढ़ जाती है, तब पेड़ों को छायादार कपड़े या प्लास्टिक शीट से ढकने से फलों की फटने की समस्या कम होती है. लीची में, फलों के लौंग के आकार के बन जाने पर, बोरान का पहला छिड़काव (अप्रैल के प्रथम सप्ताह में) 4 ग्राम प्रति लीटर पानी और दूसरा छिड़काव फलों के रंग के शुरू होने के समय (मई के प्रथम सप्ताह में) करें. इससे फलों की फटने की समस्या कम हो जाती है.
कीट और रोगों के कारण भी फल फट सकते हैं. लीची और आम में फंगल रोगकारक की वजह से छिलका कमजोर हो सकता है, जिससे फल फटने की संभावना बढ़ जाती है. फंगल रोगों की निगरानी के लिए फंगीसाइड का छिड़काव करना आवश्यक हो सकता है. कुछ कीट भी फलों की त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे फलों में दरारें पैदा हो सकती हैं. कीटों के संक्रमण को नियमित रूप से बगीचों की निगरानी करके और एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम) प्रथाओं का उपयोग करके उचित नियंत्रण उपाय किए जाने चाहिए.
विशेषज्ञ डॉ सिंह के मुताबिक, फलों पर पानी छिड़काने के लिए ओवरहेड स्प्रिंकलर जैसी तकनीकों का उपयोग करें, जो तापमान और आर्द्रता में उतार-चढ़ाव को कम कर सकती है. पिछले वर्षों में, लीची के फलों के फटने की समस्या का विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिसका मुख्य कारण वातावरण में बड़ा परिवर्तन है. लीची के पकने के समय तापमान लगभग 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक हो रहा है, जिससे फल में गूदे कम बन रहे हैं और गुठली बड़ी हो रही है.
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इस समस्या को कम करने का एकमात्र उपाय है कि किसान लीची के पेड़ों की दो लाइनों के बीच में ओवरहेड स्प्रिंकलर लगाएं. इस तरह दिन में पानी की बूंदें छिड़काने से उचित समय पर प्राप्त लीची के फल में गुणवत्तायुक्त फल प्राप्त होते हैं और फल के फटने की संभावना कम होती है. इस प्रकार, बाग में तापमान को बाहरी तुलना में लगभग 5 डिग्री सेल्सियस कम रखा जा सकता है.
भविष्य के लिए, फलों के फटने से पहले ही उचित इंतजाम करना बेहतर होता है. उचित कटाई और छंटाई, खुली छतरी का निर्माण जैसे काम मददगार होते हैं. कटाई छंटाई से पौधों में हवा का संचार होता है. कटाई-छंटाई नमी को भी वितरित करता है, जिससे फलों का फटने का खतरा कम होता है. तेज़ हवाओं के उतार-चढ़ाव से भी सावधान रहना चाहिए, क्योंकि ये फलों को नुकसान पहुंचा सकती हैं और उनमें दरारें बढ़ा सकती हैं. फलों की गुणवत्ता पर हवा के प्रभाव को कम करने के लिए, बगीचे के आस-पास हवारोधी प्रजातियों को लगाकर उपाय किए जाने चाहिए. जिन किसानों ने पिछले साल फल की तुड़ाई के उपरांत बाग का प्रबंधन करते समय बाग में पेड़ की उम्र के अनुसार खाद और उर्वरकों का प्रयोग किया है, उनमें फल की फटने की समस्या कम होती है.
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