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पौधों के लिए टॉनिक है अजोला का पानी, फल-सब्जियों की बढ़ाता है पैदावार

पौधों के लिए टॉनिक है अजोला का पानी, फल-सब्जियों की बढ़ाता है पैदावार

अजोला में प्रोटीन, आवश्यक अमीनो एसिड और विटामिन (विटामिन ए, विटामिन बी 12 और बीटाकैरोटीन), कैल्शियम, फास्फोरस, पोटाश, लोहा, तांबा, मैग्नीशियम आदि खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. शुष्क मात्रा के आधार पर इसमें 40-60 प्रतिशत प्रोटीन, 10-15 प्रतिशत खनिज और 7-10 प्रतिशत अमीनो एसिड, बायोएक्टिव पदार्थ और बायोपॉलिमर आदि पाए जाते हैं.

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पौधों के लिए टॉनिक है अजोला का पानी पौधों के लिए टॉनिक है अजोला का पानी

पौधों को वृद्धि और विकास के साथ अच्छी उत्पादकता के लिए कई तरह के पोषक तत्वों की जरूरत होती है, जिनमें से पौधे हवा और पानी से कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन लेते हैं. ये तीनों तत्व पौधों को प्रकृति से भरपूर मात्रा में मिल जाते हैं. प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं. जिस वजह से इन तीनों पोषक तत्वों के लिए किसी खाद की जरूरत नहीं होती है. लेकिन पौधों में अन्य पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए कृत्रिम खादों का प्रयोग किया जाता है. पौधे अपनी जड़ों के माध्यम से मिट्टी जरूरी पोषक तत्वों को सोंख लेते हैं और कमी को पूरा करते हैं. ऐसे में पौधों के विकास के लिए किसानों को कई तरह के आर्टिफिशियल खाद का इस्तेमाल करना पढ़ता है. जिसका न केवल मिट्टी बल्कि इंसानों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है. इसलिए किसान बिना रासायनिक उर्वरकों का उपयोग किए इस टॉनिक का उपयोग कर सकते हैं. ये टॉनिक कुछ और नहीं बल्कि अजोला का पानी है. इस पानी का इस्तेमाल फसलों की वृद्धि में किया जाता है.

पौधों के लिए टॉनिक है अजोला का पानी

अजोला का इस्तेमाल कुछ हद तक (20 किग्रा/हेक्टेयर) रासायनिक नाइट्रोजन खाद के विकल्प के रूप में काम करता है. इससे फसल की पैदावार और गुणवत्ता बढ़ती है. साथ ही इससे रासायनिक उर्वरकों के उपयोग की क्षमता बढ़ती है. अजोला के खेतों से निकाला गया पानी सब्जी की खेती के पैदावार को बढ़ाता है. इससे सब्जियों और फूलों का उत्पादन बढ़ता है. अजोला के खेतों से निकाले गए पानी का इस्तेमाल सब्जी के खतों में किया जाता है. जिससे फसल की पैदावार बढ़ती है.

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क्या है अजोला की खासियत

अजोला में प्रोटीन, आवश्यक अमीनो एसिड और विटामिन (विटामिन ए, विटामिन बी 12 और बीटाकैरोटीन), कैल्शियम, फास्फोरस, पोटाश, लोहा, तांबा, मैग्नीशियम आदि खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. शुष्क मात्रा के आधार पर इसमें 40-60 प्रतिशत प्रोटीन, 10-15 प्रतिशत खनिज और 7-10 प्रतिशत अमीनो एसिड, बायोएक्टिव पदार्थ और बायोपॉलिमर आदि पाए जाते हैं. अजोला में कार्बोहाइड्रेट और वसा की मात्रा बहुत कम होती है. इसकी बनावट और इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व इसे एक बहुत ही उपयोगी बनाते हैं. इसे खाद के साथ पशु चारे में भी इस्तेमाल किया जाता है. क्योंकि इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है. जानवरों को इसकी आदत बहुत जल्दी पड़ जाती है. इसके अलावा अजोला के उत्पादन की प्रक्रिया सरल और किफायती है.