केंद्र सरकार खेती के तरीके को आधुनिक करने पर जोर दे रही है, जिसके तहत फसलों में तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसी कड़ी में फसलों में दवा छिड़काव समेत अन्य कार्यों के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. सरकारी संस्था इफको ने 30 लाख एकड़ कृषि भूमि के लिए निजी कंपनी से ड्रोन सेवाओं के लिए करार किया है. इसके तहत देश के 12 राज्यों में इफको एग्री ड्रोन के जरिए कृषि भूमि पर छिड़काव कार्य करेगी. बता दें कि खेती में ड्रोन के इस्तेमाल से लागत और समय में भारी कटौती होती है.
इफको और ड्रोन डेस्टिनेशन के करार के तहत देशभर के 12 राज्यों में ड्रोन स्प्रे समेत एग्री इनुपट कार्य किए जाएंगे. इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड शामिल हैं. ड्रोन के जरिए इफको एग्री प्रोडक्शन और कैपेसिटी बढ़ाना उद्देश्य है. ड्रोन के जरिए इफको नैनो यूरिया, नैनो डीएपी, सागरिका, इफको एमसी एग्रो-केमिकल्स और अन्य इफको और इफको ज्वाइंट वेंचर के एग्री प्रोडक्ट का छिड़काव करेंगे.
इफको ने ड्रोन सेवाएं देने वाली कंपनी ड्रोन डेस्टिनेशन के साथ 30 लाख एकड़ कृषि भूमि पर एग्री प्रोडक्ट के छिड़काव के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. ड्रोन कंपनी ने कहा कि मौजूदा बाजार दरों पर 400 से 800 रुपये प्रति एकड़ के बीच भुगतान उसे इफको की ओर से किया जा सकता है. इसका मतलब है कि कंपनी को कम कीमत दर में 120 करोड़ रुपये और अधिकतम कीमत दर में 240 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल होगा.
ड्रोन डेस्टिनेशन के प्रबंध निदेशक और सीईओ चिराग शर्मा ने कहा कि हमने 30 लाख एकड़ में कृषि स्प्रे के लिए मैंडेट मिल गया है. ऐसे कृषि स्प्रे की मौजूदा बाजार दर क्षेत्र और फसल के आधार पर 400-800 रुपये प्रति एकड़ है. कंपनी ने कहा कि हम भारतीय कृषि में बदलाव लाने में जुटे हैं. ड्रोन के इस्तेमाल से लागत घटेगी और देश कृषि गतिविधियों में तेजी आएगी, जिससे अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान बढ़ेगा.
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