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Monsoon Updates: बंगाल की खाड़ी में मॉनसून की दस्तक, चार जून से केरल में बारिश के आसार!

Monsoon Updates: बंगाल की खाड़ी में मॉनसून की दस्तक, चार जून से केरल में बारिश के आसार!

किसानों के लिए खुशखबरी है. बंगाल की खाड़ी, अंडमान सागर और निकोबार के आसपास मॉनसून ने दस्तक दे दी है. इसी के साथ देश में मॉनसून के प्रवेश की संभावना प्रबल हो गई है. केरल के तट पर इसके चार जून तक आने की उम्मीद है. उसके बाद देश के बाकी हिस्सों में यह मौजूदगी दर्ज कराएगा.

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केरल में चार जून को मॉनसून के पहुंचने का अनुमान है केरल में चार जून को मॉनसून के पहुंचने का अनुमान है

किसानों के लिए खुशखबरी है. दक्षिणपश्चिम मॉनसून की आहट मिलने लगी है. इस बार थोड़ा लेट जरूर है, लेकिन उसकी आमद अच्छी बताई जा रही है. मौसम विभाग (IMD) ने बताया कि शुक्रवार को दक्षिणपश्चिम मॉनसून दक्षिणपूर्व बंगाल की खाड़ी, निकोबार द्वीप और अंडमान सागर की तरफ बढ़ चुका है. इसी के साथ मॉनसून के भारत के तटीय इलाकों में प्रवेश करने का क्रम शुरू हो गया है. भारत में मॉनसून का सीजन लगभग चार महीने का होता है जिसमें बारिश होती है. इसी बारिश के आधार पर देश की लगभग 60 फीसद खेती आधारित है. इस बार केरल में चार जून को मॉनसून के दस्तक देने का अनुमान है जो कि चार दिन की देरी से बताया जा रहा है. अमूमन केरल में एक जून को मॉनसून पहुंच जाता है. हालांकि इसमें चार दिन का घट-बढ़ जाता है.

इस सप्ताह की शुरुआत में, मौसम विभाग ने कहा था कि केरल में मॉनसून की शुरुआत एक जून की सामान्य तारीख से थोड़ा देर से होगी. केरल में मॉनसून के आने की तारीख एक जून निर्धारित होती है, लेकिन इस बार चार जून तक आने की संभावना है. यही वो तारीख है जिस दिन से मैदानी इलाकों में मॉनसून के प्रवेश की संभावना है. भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा, "दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आज (शुक्रवार) बंगाल की खाड़ी, निकोबार द्वीप समूह और दक्षिण अंडमान सागर के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ गया."

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क्या कहा मौसम विभाग ने

IMD ने कहा, अगले 3-4 दिनों के दौरान दक्षिण बंगाल की खाड़ी, अंडमान सागर और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुछ और हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं. इससे पहले मंगलवार को मौसम विभाग ने कहा था कि केरल में मॉनसून की शुरुआत चार जून को चार दिनों की मॉडल त्रुटि (चार दिन आगे-पीछे) के साथ होने की संभावना है. केरल में मॉनसून पिछले साल 29 मई, 2021 में तीन जून, 2020 में एक जून, 2019 में आठ जून और 2018 में 29 मई को पहुंचा था.

देश के लिए अहम मॉनसून

भारत की लगभग 3.5 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान 15 फीसद है. इसलिए मॉनसून की बारिश को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. अगर मॉनसून सही न रहे, बारिश कम हो जाए और सूखा पड़ जाए तो देश की पूरी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर होता है. खासकर खाद्य महंगाई बढ़ जाती है जिससे आर्थिकी के कई मोर्चे पर सरकार और आम लोगों को परेशानी होती है.

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मॉनसून पर अल नीनो का असर

इस बार मॉनसून पर अल नीनो का साया पड़ सकता है. मौसम विभाग अपने पूर्वानुमान में बता चुका है कि जुलाई में मॉनसून के बीच अल नीनो का असर देखा जा सकता है. अल नीनो के असर में बारिश कम होने या सूखा पड़ने की आशंका अधिक रहती है. अगर ऐसा होता है तो खेती प्रभावित हो सकती है. अभी हाल में एक रिपोर्ट में कहा गया कि अगस्त महीने में अल नीनो का प्रभाव दिखने की 90 परसेंट तक संभावना है. अल नीनो आता है तो एशिया और अमेरिका के कई देशों में सूखा पड़ सकता है. भारत के लिए कुछ गंभीर स्थिति इसलिए कही जा रही है क्योंकि बीच मॉनसून में ही इसके शुरू होने की संभावना है. अगस्त महीने में अल नीनो के हालात बनने की रिपोर्ट अमेरिक के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर (CPC) ने दी है.