प्याज-लहसुन को क्यों माना जाता है तामसिक भोजन?

06 July 2025

By: KisanTak.in

आयुर्वेद के अनुसार, प्याज-लहसुन मानसिक रूप से उत्तेजना और असंतुलन पैदा करते हैं. इससे आपको ध्यान और शांति में बाधा आती है

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मन को अशांत करे

प्याज-लहसुन को कामोत्तेजक माना गया है, जिससे ये इंद्रिय-नियंत्रण करने वालों के लिए,जैसे योगी के लिए उपयुक्त नहीं होते

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काम-विकार को बढ़ाए

हालांकि प्याज-लहसुन हाजमा में मदद करते हैं, मगर यह पेट की अग्नि को बहुत भड़का देते हैं, जिससे बेचैनी हो सकती है

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पाचन को उत्तेजित करे

इनकी गंध तेज होती है और शरीर में बदबू ला सकती है. इससे आपका वातावरण और आत्म-स्वच्छता भी प्रभावित होती है

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दुर्गंध और भारीपन

दरअसल, सात्विक भोजन मन को शुद्ध, शांत और स्थिर करता है. अगर प्याज-लहसुन खाते हैं तो ये इन गुणों को कम करते हैं

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सात्विक गुणों में बाधा

योग और ध्यान के अभ्यास में इनसे उत्पन्न मानसिक उत्तेजना आपके ध्यान को भटका सकती है. इसलिए मनाही की जाती है

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ध्यान और साधना में बाधक

कुछ शास्त्रों में कहा गया है कि ये "मृत" या "अविकसित ऊर्जा" वाले खाद्य पदार्थ हैं. इनमें जीवनदायिनी प्राण-शक्ति कम होती है

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मृत भोजन की मान्यता

मान्यता है कि तामसिक भोजन हिंसा, क्रोध और आलस्य को बढ़ा सकता है. यह भी कारण है कि साधु-संत इनसे परहेज करते हैं

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हिंसा और उत्तेजना

वेदों, योगिक ग्रंथों और आयुर्वेदिक परंपरा में शुद्धता, संयम और ध्यान के लिए प्याज-लहसुन त्याग की सलाह दी जाती है

नोट: खबर केवल सामान्य जानकारी पर आधारित है...

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शुद्धता की परंपरा