14 June 2025
By: KisanTak.in
गरम मसाला का मूल आयुर्वेद में है, जहां मसालों को सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि औषधि माना गया
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करीब 2500 ईसा पूर्व से भारत में मसाले उगाए और उपयोग किए जाते थे. सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में जीरा, हल्दी, अदरक जैसे मसालों के प्रमाण मिले हैं
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ऋग्वेद और अथर्ववेद में मसालों का जिक्र है. खासतौर पर स्वाद, स्वास्थ्य और पूजा में इनका प्रयोग बताया गया है
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4th से 6th सदी तक भारत से रोम और अरब देशों को मसाले निर्यात होते थे. यह व्यापार "स्पाइस रूट" कहलाता था, जो भारत को 'सोने की चिड़िया' बनाता था
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भारत में मुगलों ने मसालों को एक नई ऊंचाई दी. खासतौर पर दालचीनी, तेजपत्ता, जायफल, जावित्री जैसे मसाले जोड़कर "गरम मसाला" का वर्तमान रूप विकसित हुआ
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पंजाब में गरम मसाला ज्यादा तेज और गर्म होता है, जबकि बंगाल में हल्का और खुशबूदार. हर राज्य की अपनी खास रेसिपी है
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अंग्रेज, पुर्तगाली और डच भारत आए ही मसालों के लालच में थे. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मसालों के जरिए भारत पर कब्जा जमाया
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आज भी हर घर में अपनी खास गरम मसाला रेसिपी होती है. दादी-नानी से मां तक ये विरासत चली आती है
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गरम मसाला अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहा, यह अमेरिका, यूरोप और मिडल ईस्ट की रसोइयों में भी अपनी खुशबू फैला रहा है
नोट: खबर केवल सामान्य जानकारी पर आधारित है...
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