महाकुंभ 2025 की शुरुआत अखाड़ों के साधुओं के शाही स्नान से हो जाएगी
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इसलिए आज हम आपको साधुओं के अखाड़ों के बारे में बता रहे हैं
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दरअसल, साधु-संतों के बेड़े या समूह को अखाड़ा कहा जाता है
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8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने अखाड़ा परंपरा की शुरुआत की थी
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धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए शस्त्र और शास्त्र में दक्ष संतों के संगठन को अखाड़ा कहा गया
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अखाड़े का लक्ष्य साधुओं की शक्ति और पुरुषार्थ से राष्ट्र को बाहरी आक्रमणों से सुरक्षित करना है
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बता दें कि आज भारत में साधु-संतों के कुल 13 प्रमुख अखाड़े हैं
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इनमें शैव संप्रदाय के 7, बरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 और उदासीन संप्रदाय के 3 अखाड़े हैं
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सभी अखाड़ों में सबसे पुराना अखाड़ा आवाहन अखाड़े को माना जाता है
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नोट: ये खबर केवल सामान्य जानकारी पर आधारित है