क्या आप भी करते हैं आपने आप से बातें? ये अच्छा है या खतरनाक

16 June 2025

By: KisanTak.in

खुद से बात करना दिमाग का "सोचने" का तरीका होता है. यह निर्णय लेने, योजना बनाने और भावनाएं समझने में मदद करता है

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सोचने का तरीका

स्टूडेंट्स, खिलाड़ी, कलाकार, ये सब खुद से बात करते हैं ताकि फोकस बना रहे. जैसे- "अब मुझे ये करना है", "संतुलन बनाना है", आदि

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ध्यान में मदद

खुद से बात करना एक तरह का “इमोशनल वेंट” होता है. इससे मन हल्का होता है और निगेटिव सोच कम होती है

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तनाव कम होता है

जब हम उलझन में होते हैं, तो खुद से बात करके चीजें क्लियर होती हैं. यह अंदर की सोच को बाहर लाकर समझने में मदद करता है

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दिमाग को ऑर्गनाइज़ करे

छोटे बच्चे अक्सर खुद से बोलते हैं, ये उनकी सोच और भाषा का हिस्सा होता है. ये किसी बीमारी का संकेत नहीं होता

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बच्चों में ये सामान्य

अगर कोई गुस्से में चिल्ला रहा हो, जवाब भी खुद दे रहा हो या हिंसक हो जाए, तो यह मानसिक समस्या हो सकती है

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व्यवहार अजीब हो, तो ध्यान दें

जैसे कोई "अनदेखे लोग" या "आवाज़ें" सुन रहा है, तब ये हेलुसिनेशन हो सकता है. ऐसे में प्रोफेशनल मदद ज़रूरी है

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बातें कल्पना से बाहर

"मैं कर सकता हूं", "मुझे घबराना नहीं है" जैसी बातें आत्मविश्वास बढ़ाती हैं. इसे पॉजिटिव सेल्फ-टॉक कहते हैं और यह वैज्ञानिक रूप से असरदार है

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खुद से पॉजिटिव बातें

ज़्यादातर समय खुद से बातें करना नॉर्मल, हेल्दी और ज़रूरी होता है. बस, अगर ये हद से ज़्यादा या विचलित करने वाला हो जाए, तो जांच कराएं

नोट: खबर केवल सामान्य जानकारी पर आधारित है...

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ये बीमारी नहीं है