15 June 2025
By: KisanTak.in
हड़प्पा सभ्यता यानी 2500–1500 ईसा पूर्व में मटके के साक्ष्य मिले हैं. खुदाई में मिले मटके प्रमाण हैं कि हजारों साल पहले भी लोग मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल करते थे
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सुंदर डिज़ाइन, चित्रकारी और भंडारण के लिए मटके के इस्तेमाल के प्रमाण मिले हैं. ये मटके अनाज, पानी और तेल रखने के लिए बनाए जाते थे
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ऋग्वेद और यजुर्वेद में ‘कुंभ’ शब्द का प्रयोग होता है जो मटका का ही रूप है
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पूजा-पाठ, विवाह, त्यौहारों में आज भी मटका उपयोग होता है – जैसे कलश स्थापना. मटका जीवन, जल और समृद्धि का प्रतीक माना गया है
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आज भी भारत के गांवों से लेकर शहरों तक में पीने के पानी के लिए मटका प्रमुख स्रोत है
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मटकों पर की जाने वाली पेंटिंग, नक्काशी और रंग-बिरंगे डिज़ाइन भारतीय लोककला को दर्शाते हैं
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मटका बनाना एक कारीगरी है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है. इसे भारत में पारंपरिक रूप से कुम्हार समुदाय बनाता आ रहा है
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भले ही फ्लास्क और फ्रिज आ गए हों, लेकिन मटका अब भी घरों, होटलों और मंदिरों में सम्मान के साथ मौजूद है
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मटका भारतीय सभ्यता का 4000+ साल पुराना हिस्सा है. यह सिर्फ पानी रखने का साधन नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, विज्ञान, परंपरा और आत्मनिर्भरता की मिसाल है
नोट: खबर केवल सामान्य जानकारी पर आधारित है...
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