30 June 2025
By: KisanTak.in
कृत्रिम बारिश को क्लाउड सीडिंग भी कहते हैं. ये एक वैज्ञानिक तकनीक है जिसमें रसायनों की मदद से बादलों से बारिश कराई जाती है
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इसमें सिल्वर आयोडाइड, आयोडीन नमक, रॉक सॉल्ट और कभी-कभी सूखी बर्फ का इस्तेमाल होता है
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इन सारे रसायनों को ड्रोन, प्लेन या स्पेशल कैनन की मदद से बादलों में जाकर छोड़ा जाता है. इससे ये है रसायन पानी की बूंदों के बनने की प्रक्रिया तेज करते हैं
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ये केमिकल बादलों में जाकर आर्टिफिशयल बर्फ के क्रिस्टल की तरह काम करते हैं. वे नमी को आकर्षित करते हैं, जिससे बूंदें बड़ी होती हैं
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इसके बाद पानी की बूंदें भारी होकर बारिश के रूप में गिरने लगती हैं. क्लाउड सीडिं करने के बाद बारिश शुरू होने में 15 से 60 मिनट तक लग सकते हैं
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इस प्रक्रिया के लिए निम्बोस्ट्रेटस बादल सबसे सही माने जाते हैं. ये बादल आमतौर पर 500 से 6000 मीटर की ऊंचाई पर बनते हैं
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दुनिया भर के अध्ययनों के अनुसार, क्लाउड सीडिंग से बारिश कराने की सफलता दर लगभग 60-70% मानी जाती है
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गौर करने वाली बात ये है कि क्लाउड सीडिंग बिना बादलों के नहीं हो सकती. ये तकनीक बारिश को बढ़ा सकती है, बना नहीं सकती
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भारत में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में क्लाउड सीडिंग कराई जा चुकी है और अब दिल्ली में भी कराई जाएगी
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नोट: ये खबर केवल सामान्य जानकारी पर आधारित है