खेती की ये 9 देसी तकनीक आज भी हैं बेहद कारगर, अभी जानें

27 May 2025

By: KisanTak.in

ट्रैक्टर से खेत जोतने के बजाय बैलों से जुताई करना मिट्टी की ऊपरी परत को नुकसान नहीं पहुंचाता और यह जैविक संतुलन बनाए रखता है

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हल-बैल से जुताई

गाय के गोबर, मूत्र, दूध, दही और घी से बना पंचगव्य एक बेहतरीन जैविक खाद और कीट नियंत्रक है. इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है

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पंचगव्य का प्रयोग

कंटीली झाड़ियां जैसे करोंदा, बबूल, सीताफल आदि से खेत की प्राकृतिक बाड़ लगाना जानवरों से सुरक्षा देता है और साथ में फल भी

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झाड़ियों से बाड़बंदी

नीम की पत्तियों या तेल का छिड़काव देसी कीटनाशक का काम करता है. यह रासायनिक कीटनाशकों का सस्ता और असरदार विकल्प है

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नीम का छिड़काव

एक ही खेत में दो या ज्यादा फसलें लगाना जैसे अरहर + मूंग + मक्का. इससे मिट्टी का संतुलन बना रहता है और नुकसान की संभावना घटती है

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मिश्रित खेती

गाय-भैंस का गोबर और खेत में उगाई गई हरी खाद (जैसे सनई) से खेत को प्राकृतिक रूप से पोषण मिलता है

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देसी खाद

बीजों को बोने से पहले गोमूत्र, हल्दी या नीम की पत्तियों से उपचार करने से बीमारियों से बचाव होता है

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बीज उपचार

खेत में मेडबंदी कर या छोटे तालाब बनाकर वर्षा का पानी इकट्ठा किया जाता है, जिससे सिंचाई में मदद मिलती है

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वर्षा जल संचयन

गांवों में पुराने समय से गड्ढों या चैनलों से बूंद-बूंद पानी पहुंचाने की व्यवस्था होती थी. आज भी सूखे इलाकों में ये बेहद कारगर है

नोट: खबर केवल सामान्य जानकारी पर आधारित है...

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नाड़ी प्रणाली