हमारे देश में बड़े पैमाने में खेती-किसानी की जाती है
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खेती से अधिक पैदावार पाने के लिए मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बेहतर होना जरूरी है
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मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने के लिए दालों की खेती करें
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दलहनी फसलों की जड़ों में ग्लोमेलिन प्रोटीन पाया जाता है
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ग्लोमेलिन प्रोटीन मिट्टी के कणों को जोड़कर रखता है इससे मिट्टी का पीएच मान संतुलित रहता है
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दलहनी फसलों की जड़ों में राइजोबियम बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो नाइट्रोजन लेवल को बढ़ाते हैं
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इससे खेतों में अनावश्यक उगने वाले खरपतवार में भी कमी आती है
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दलहनी फसलें कम पानी और साधारण देखभाल में भी तैयार हो जाती हैं
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अरहर, चना, मसूर, मटर, सोयाबीन, उड़ड और मूंग भारत की खास दलहनी फसलें हैं
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नोट: खबर केवल सामान्य जानकारी पर आधारित है...