हमारे देश में पराली जलाना एक बड़ी समस्या हो गई है
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पराली जलाने से निकलने वाला धुआं प्रदूषण फैलाता है
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इस धुएं से हवा जहरीली होती है, कई लोगों को फेफड़े और सांस की समस्या हो जाती है
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पराली जलाने की बजाय खेत में ही उपयोग कर सकते हैं
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खेत में मल्चिंग तकनीक में इसका उपयोग करना अधिक फायदेमंद है
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मल्चिंग में पॉलीथीन की जगह पर फसलों के अवशेष का इस्तेमाल करें
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इससे पौधों में लंबे समय तक नमी बनी रहती है जिससे अच्छी ग्रोथ होती है
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सड़ने, गलने के बाद पराली ऑर्गेनिक खाद में बदल जाती है
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खेतों में मल्चिंग करने पर खाद-पानी का दुरुपयोग नहीं होता मिट्टी भी सुधरती है
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नोट: ये खबर केवल सामान्य जानकारी पर आधारित है