04 June 2025
By: KisanTak.in
जैविक खेती की शुरुआत मिट्टी से होती है. इसलिए मानसून से पहले ही मिट्टी की जांच कराएं. साथ ही गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट और जीवामृत मिलाकर खेत तैयार करें
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मानसून में जलभराव फसलों को नुकसान पहुंचाता है. इसके लिए खेत की मेढ़ों को ऊंचा करें और नालियों की सफाई पहले ही कर लें
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खरीफ फसल के लिए ऐसे बीज चुनें जो स्थानीय जलवायु और बारिश में अच्छा प्रदर्शन करते हों. जैसे – धान, बाजरा, तिल, अरहर, मूंग
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बीज बोने से पहले गौमूत्र, त्रिकोण मिश्रण (नीम, लहसुन, अदरक), जीवामृत या पंचगव्य से बीज का उपचार करें ताकि रोग प्रतिरोधकता बढ़े
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हल्की बारिश होने पर ही बुवाई करें, ज्यादा पानी में बीज गल सकते हैं. साथ ही कतार में बुवाई करें जिससे निराई-गुड़ाई और जल निकासी आसान हो
समय-समय पर निराई करें. मल्चिंग (सूखे पत्ते, घास) से खरपतवार और नमी दोनों कंट्रोल होते हैं
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नीम तेल, दशपर्णी अर्क, छाछ स्प्रे या त्रिकोण अर्क का उपयोग करें. रासायनिक स्प्रे से पूरी तरह बचें, इससे जैविक संतुलन बिगड़ता है
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हर 15-20 दिन में जीवामृत का स्प्रे करने से फसल मजबूत होती है और उपज में सुधार होता है. बायोफर्टिलाइज़र भी मिलाया जा सकता है
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कटाई सही समय पर करें ताकि नमी के कारण खराबी न हो. भंडारण के लिए नीम की पत्तियां या भंडारण में राख/चूना उपयोग करें, इससे कीड़ों से बचाव होता है
नोट: खबर केवल सामान्य जानकारी पर आधारित है...
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