देश में अब सर्दी का मौसम अपने आखिरी चरण में आ गया है
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सर्दी जाते ही कई रबी फसलें तैयार होने लगती हैं
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सरसों भी उन्हीं फसलों में है जो सर्दी जाते ही पकने लगती है
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शीतलहर के बाद अब बढ़ते तापमान से सरसों की फसल पर रोग और कीट लगने लगे हैं
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सरसों में सफेद रतुआ व अल्टरनेरिया ब्लाइट बीमारी का खतरा बढ़ जाता है
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इन बीमारियों से पौधों की ग्रोथ रुक जाती है और फसल को खूब नुकसान होता है
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ऐसी स्थिति में किसान 600 से 800 ग्राम मैंकोजेब को 250 से 300 लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाएं
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चेपा से बचाव के लिए डायमेथोएट 250 से 400 मिली के साथ 250-400 लीटर पानी में प्रति एकड़ का छिड़काव करें
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कोकोपीट का यूज करने से पौधों में बैक्टीरिया और फंगस आदि नहीं लगते
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नोट: खबर केवल सामान्य जानकारी पर आधारित है...