07 May 2025
By: KisanTak.in
सिंदूर की खेती गर्म और आद्र्र जलवायु में अच्छी होती है. इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है. pH: 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए
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फिर पौधशाला में बीज बोएं और लगभग 45-60 दिन में पौधे तैयार हो जाते हैं. 1 एकड़ खेत के लिए 800 से 1,000 पौधों की जरूरत होगी (लागत ₹3,000–₹5,000)
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दो से तीन बार जुताई करें. 8–10 टन प्रति एकड़ गोबर या जैविक खाद डालें. लागत (जुताई + खाद) ₹6,000 – ₹8,000
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मानसून की शुरुआत (जून–जुलाई) सबसे सही समय है. कतार से कतार की दूरी 3 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 3 मीटर रखें. (प्रति एकड़ लगभग 900 पौधे)
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वर्षा आधारित क्षेत्रों में अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत नहीं. सूखे क्षेत्रों में 15–20 दिन के अंतर पर सिंचाई करें. अगर सिंचाई करनी पड़ी तो ₹2,000–₹4,000 की लागत
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जैविक खाद और नीम तेल जैसे प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग करें. सिंदूर पर सामान्य कीट कम लगते हैं. लागत: खाद + कीटनाशक: ₹3,000 - ₹5,000
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पौधे 18 से 24 महीने में फल देना शुरू करते हैं. एक पौधा सालाना लगभग 500 ग्राम बीज देता है. 900 पौधे × 0.5 किग्रा = 450 किग्रा बीज प्रति एकड़
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सिंदूर का बाजार भाव: ₹400–₹600 प्रति किलो. कुल आय (450 किग्रा × ₹500 औसतन) = ₹2,25,000 प्रति एकड़ सालाना
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खेत की तैयारी, पौध/बीज, खाद/कीटनाशक, सिंचाई, मजदूरी + कटाई मिलाकर कुल लागत ₹24,000 रुपये और मुनाफा होगा ₹2,01,000 प्रति एकड़ (सालाना)
नोट: खबर केवल सामान्य जानकारी पर आधारित है...
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