07 July 2025
By: KisanTak.in
बरसात के मौसम में भेड़-बकरियों को एंटरोटॉक्सिमिया यानी फड़किया बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है. ये भेड़-बकरियों को होने वाली बड़ी बीमारियों में से एक है
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एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक, ये बीमारी ज्यादा खाने के चलते होती है. जुलाई-अगस्त में एंटरोटॉक्सिमिया नाम का बैक्टीरिया भेड़-बकरियों पर अटैक कर सकता है
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फड़किया बीमारी लगने पर पहले तो भेड़-बकरी को दस्त लगते हैं. इसके एक दम से दस्त बंद हो जाते हैं. लेकिन दो दिन बाद जरूरत से ज्यादा कमजोरी हो जाती है
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दो दिन बाद भेड़-बकरी ठीक से चल भी नहीं पाती हैं. अगर भेड़-बकरी चलने की कोशिश करेगी तो लड़खड़ाकर गिर जाएगी
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फिर से उसे एक-दो दस्त और आते हैं. मगर अबके दस्त के साथ भेड़-बकरी को खून भी आना शुरू हो जाएगा. बस फिर इसके बाद उसकी मौत हो जाती है
इसलिए जब भी भेड़ों के झुंड को बाहर खुले में चरने के लिए ले जा रहे हों तो पहले उसे सूखा चारा और मिनरल्स जरूर दें
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सूखा चारा खूब सारा खिलाने से भेड़-बकरी ने जो हरा चारा खाया है उसमें मौजूद नमी का स्तर सामान्य हो जाता है
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एनीमल एक्सपर्ट के अनुसार, पशु को सूखे चारे के तौर पर कई तरह का भूसा दे सकते हैं. मिनरल्स में खल, बिनौले, चने की चूनी आदि दी जा सकती है
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पशु की आंत में अचानक से पनपे एक बैक्टीरिया के कारण ये बीमारी होती है. पशुओं की बीमारी पर काम करने वाले निवेदी संस्थान ने हाल ही में इसको लेकर अलर्ट जारी किया है.
नोट: खबर केवल सामान्य जानकारी पर आधारित है...
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