22 June 2025
By: KisanTak.in
विदेशी नस्लें महंगी और संवेदनशील होती हैं. देसी नस्लें जैसे मालपुरा, नल्लोर, दक्कनी, मारवाड़ी सस्ती और टिकाऊ होती हैं
Credit: pinterest
राजस्थान की यह नस्ल गर्मी सहन करती है और कम चारे में भी जीवित रहती है. इसका मांस उत्पादन अच्छा होता है
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यह नस्ल रोग प्रतिरोधी होती है और चलने में तेज होती है. बड़े आकार की होती है, इसलिए मांस उत्पादन अधिक होता है
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यह नस्ल बहुत तगड़ी होती है और रेगिस्तानी क्षेत्रों में पल सकती है. ऊन भी अच्छा देती है
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यह सबसे ज्यादा पाले जाने वाली देसी नस्ल है. हर मौसम में जीवित रहती है और देखभाल का खर्चा कम है
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ज्यादा निवेश न करें. पहले 10–15 मादा और 1–2 नर से शुरुआत करें. फिर धीरे-धीरे संख्या बढ़ाएं
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खेतों के किनारे, खुले मैदानों में इन भेड़ों की चराई करवाएं. इससे चारा खरीदने का खर्च बचेगा और भेड़ स्वस्थ रहेंगी
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गांव के पशु चिकित्सक से समय पर टीके लगवाएं. देसी नुस्खे जैसे हल्दी और नीम का प्रयोग करें
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शहर ले जाने से बेहतर है कि स्थानीय मंडियों, मेलों और कसाई बाजारों में भेड़ या उनके बच्चे बेचें. इससे ट्रांसपोर्ट का खर्च बचेगा
नोट: खबर केवल सामान्य जानकारी पर आधारित है...
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