बैलों को किसानों का हाथ-पांव कहा जाता है
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किसान और बैलों के कई किस्से-कहानियां भी लिखी गई हैं
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खेतों की जुताई से लेकर माल की ढुलाई तक बैलों से की जाती रही है
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आज बैलों की जगह टैक्ट्रर और अन्य मशीनों ने ले लिया है
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लेकिन बैलों और किसानों के बीच के रिश्ते का एक बड़ा मध्य प्रदेश में देखने को मिला है
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मंदसौर के भानपुरा क्षेत्र में दो दिन के भीतर दो बैलों की मौत हो गई
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किसान भवानी सिंह और उल्फत सिंह ने बैलों की मौत पर उनका क्रियाकर्म किया है
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किसान ने बताया हमारे यहां पूर्वजों की अस्थियां हरिपदी गंगा में विसर्जित करते हैं, बैलों का भी किया अस्थि विसर्जन
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अपने तीर्थपुरोहित पं. उमेश पाठक के माध्यम से वह बैलों का श्राद्धकर्म भी करा रहे हैं
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आज 26 दिसंबर को 13 दिन बाद मृत्युभोज भी कराया जा रहा है
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(Input- आकाश चौहान, मंदसौर)