ताइवानी भिंडी, पपीते की बागवानी ने बदली तकदीर, ग्रेजुएट किसान कमा रहा लाखों रुपये

ताइवानी भिंडी, पपीते की बागवानी ने बदली तकदीर, ग्रेजुएट किसान कमा रहा लाखों रुपये

ताइवान रेड लेडी 786 F1 हाइब्रिड पपीते की फसल से एक युवक लाखों रुपये कमा रहा है. पिता की मौत के बाद बागवानी की शुरू की और आज अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

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ताइवानी भिंडी, पपीते की बागवानी ने बदली तकदीर, ग्रेजुएट किसान कमा रहा लाखों रुपयेताइवानी भिंडी, पपीता की बागवानी ने बदली तकदीर

राजस्थान के भरतपुर के एक 24 वर्षीय युवा किसान अपनी पांच बीघा कृषि भूमि पर ताइवानी भिंडी और पपीते की बागवानी करके साल में करीब 19 लाख रुपए कमा रहे हैं. इसमें चार लाख रुपये का खर्च भी शामिल है. दरअसल 24 साल के तेजवीर सिंह ने ग्रेजुएशन की हुई है इसके अलावा वो एनिमल हसबेंडरी और वेटरनरी में डिप्लोमा भी कर चुके हैं. पांच वर्ष पहले तेजवीर सिंह के पिता प्रेम सिंह की ब्लड कैंसर की वजह से मौत हो गई थी जिसके बाद उन्होंने कृषि कार्य खुद अपने हाथों में ले लिया. युवा किसान ने अपनी पढ़ाई का अनुभव रखने के साथ निर्णय लिया कि अपने खेतों में भी ऐसी फसल उगाई जा सकती है जो ज्यादा मुनाफा देती है. वहीं तेजवीर ने बताया कि वह ताइवानी हाइब्रिड पपीते को जयपुर से लेकर आए थे.  

पांच बीघा जमीन में करते हैं पपीते की खेती

युवा किसान तेजवीर सिंह ने अपनी पांच बीघा कृषि भूमि पर ताइवानी लाल भिंडी की 786 F1 हाइब्रिड पपीता के 1500 पेड़ लगाकर बागवानी शुरू की. इस हाइब्रिड पपीते का पौधा उन्होंने नौ महीने पहले ही लगाई है. वहीं  पपीते का एक पौधा करीब एक साल  में 80 से 120 किलोग्राम फल देता है, जिससे करीब 1200 रुपये की कमाई होती है. मसलन 1500 पपीते के पेड़ों से तेजवीर सिंह की कमाई 1 साल में करीब 19 लाख रुपए होती है.

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मिर्च और टमाटर की खेती से की थी शुरुआत

पिता की मौत के बाद तेजवीर सिंह ने अपने खेत में मिर्च और टमाटर की खेती करना शुरू किया. लेकिन, उसके बाद सोशल मीडिया के माध्यम से उसको पता चला कि ताइवानी लाल भिंडी और पपीता काफी अच्छी किस्म हैं, जिसकी मांग बाजारों में ज्यादा है और उससे मुनाफा भी अच्छा होता है.

ड्रिप सिंचाई पद्धति से करते हैं सिंचाई

वहीं किसान तेजवीर सिंह ने बताया कि पहले मिर्च और टमाटर की फसल उगाते थे, मगर उसके बाद पता चला कि ताइवानी लाल भिंडी और पपीते की मांग ज्यादा है. उससे मुनाफा भी अच्छा होता है. इसलिए पांच बीघा खेत में इस पपीते का पेड़ लगाया गया है. वर्तमान समय में 1500 पपीते के पेड़ बड़े हो गए हैं जो फल दे रहे हैं. वहीं पपीते के बीच में गेंदे का पौधा भी लगाया है.  गेंदा पपीता के पेड़ों में लगने वाली बीमारियों को दूर कर करता है. वहीं किसान तेजवीर इन पेड़ों की सिंचाई,  ड्रिप सिंचाई की मदद से करते हैं साथ ही ऑर्गेनिक खाद का उपयोग भी करते हैं.

(सुरेश फौजदार, भरतपुर)

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