मराठवाड़ा के हिंगोली के किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़ आधुनिक तरीके से खेती कर अपनी उपज को बढ़ाने के साथ ही अपनी आमदनी में भी इजाफा कर रहे हैं. जिले के आसेगाव के किसान मुरलीधर भालेराव पारंपरिक खेती करते थे. लेकिन उससे मुनाफा कम और घाटा ज्यादा हो रहा था. गन्ने की खेती में हो रहे लगातर घाटे के बाद किसान मुरलीधर ने अपने 2 एकड खेत में पापरीका किस्म की मिर्च को लगाया था.पौधे लगाने से लेकर अभी तक एक लाख रुपये के करीब लागत आई है. वही किसान मुरलीधर भालेराव ने खेत में मिर्च लगाने के बाद अपनी फसल का ओमनिऐक्टिव हेल्थ टेक्नोलॉजीज कंपनी के साथ फसल बेचने का कॉन्ट्रैक्ट किया था.
ओमनिऐक्टिव हेल्थ टेक्नोलॉजीज कंपनी के माध्यम से मुरलीधर भालेराव अपनी उपज अमेरिका के मेडिकल कंपनी को बेच रहे है. कंपनी किसानों कि मिर्च ए ग्रेड 29500 प्रति क्विंटल और बी ग्रेड 27000 प्रति क्विंटल की कीमत पर खरीद रही है.
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पापरिका मिर्च, मिर्च की एक विदेशी किस्म है. यह एसिडिटी और पेट के इलाज की अन्य दवाई बनाने में काम आती है. गुणवत्ता के मामले में अन्य देशों की तुलना में बेहतर और गुणवत्ता पूर्ण उपज के कारण भारत के मिर्च की ज्यादा मांग है. इसीलिए अन्य किस्मों की तुलना में इस फसल को ज्यादा भाव मिल रहा है. पापरीका मिर्च साढ़े चार महीने में बेचने के लिए तैयार होती है. वहीं एक एकड़ में 10 से 15 क्विंटल के करीब उत्पादन मिलता है.
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किसान मुरलीधर के अलावा आसेगाव के 10 अन्य किसान भी सोयाबीन और गन्ने की पारंपरिक खेती को छोड़कर पापरिका मिर्च का उत्पादन कर अच्छी कमाई कर रहे हैं और अपनी आमदनी में इजाफा कर रहे हैं.
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