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Kisan TaK Summit: देशी गाैपालन और जैविक खेती कर समाज को बदलने का प्रयास कर रही हैं वैशवी

Kisan TaK Summit: देशी गाैपालन और जैविक खेती कर समाज को बदलने का प्रयास कर रही हैं वैशवी

वैशवी स‍िन्हा ने करीब 5 वर्षों तक अमेरिका में पढ़ाई की और वहां उन्होंने प्रोफेशनल तौर पर गोल्फ भी खेला. स्वदेश लौटने के बाद वैशवी ने कुछ ऐसा करने की ठानी जिससे वो समाज और देश के हित में कुछ कर सके और सकारात्मक बदलाव ला सकें. वैशवी के फार्म का नाम शून्य है और यहां पर देसी नस्ल की गिर, साहिवाल, थारपारकर जैसी नस्ल की गाय हैं.

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गिर गाय के साथ वैष्णवी सिन्हा गिर गाय के साथ वैष्णवी सिन्हा

इंडिया टुडे ग्रुप के किसान तक डिजिटल चैनल का मंगलवार को नई दिल्ली में उद्घाटन हुआ. इसके उपलक्ष्य में किसान तक समिट का आयोजन किया गया. किसान तक डिजिटल वेबसाइट का उद्घाटन केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने किया. साथ ही किसान तक यूट्यूब चैनल का उद्घाटन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया. इस कार्यक्रम में अलग-अलग सेशन आयोजित किए गए जिनमें एक सेशन सोशल किसान, किसानों के स्क्रीनगुरु भी रहा. इस सत्र में डॉक्टर बलराम, Youtuber, किसान पाठशाला, दर्शन सिंह, Youtuber, फ़ार्मिंग लीडर, आकाश जाधव और संतोष जाधव, Youtuber, इंडियन फार्मर, वैशवी सिन्हा, को- फाउंडर, शून्य डेयरी और मोहब्बत दीप सिंह चीमा, फाउंडर, The Pizza Factor ने शेयर किया अपना अनुभव.

इस प्रोग्राम में अमेरिका में पढ़ी लिखी और कभी गोल्फर रहीं वैशवी कहती हैं कि उनकी स्टोरी कभी खेती-किसानी से जुड़ी नहीं रही. वे 16 साल तक भारत के लिए गोल्फ खेल चुकी हैं. लेकिन अचानक देश लौटने का फैसला किया और खेती को अपना माध्यम बनाया. किसानों की प्रोडक्ट बेच सकें, धरती को बचा सकें और लोगों को कुछ अच्छा खाना मिल सके, इसके लिए शून्य फार्मिंग शुरू की.

देशी नस्ल की गायों के संरक्षण पर काम 

वैशवी स‍िन्हा उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में वैशवी सिन्हा डेयरी फार्म का संचालन कर रही हैं. इस फार्म पर वैशवी देसी नस्ल की गायों के संरक्षण और संवर्धन पर काम कर रही हैं. इसी के साथ वो अपने इस फार्म पर गौ आधारित खेती और जैविक खेती भी कर रही हैं. वैशवी के फार्म का नाम शून्य है और यहां पर देसी नस्ल की गिर, साहिवाल, थारपारकर जैसी नस्ल की गाय हैं. इस फार्म पर वो जैविक खेती (गौ आधारित) खेती भी करती हैं और यहां गायों के गोबर से बनी खाद से वर्मी कंपोस्ट भी बनाई जाती है.

अमेर‍िका में पढ़ाई की, गोल्फ खेला 

वैशवी ने करीब 5 वर्षों तक अमेरिका में पढ़ाई की और वहां उन्होंने प्रोफेशनल तौर पर गोल्फ भी खेला. स्वदेश लौटने के बाद वैशवी ने कुछ ऐसा करने की ठानी जिससे वो समाज और देश के हित में कुछ कर सके और सकारात्मक बदलाव ला सकें. 'किसान तक' से हुई खास बातचीत में वैशवी ने बताया कि वह बचपन से पढ़ाई-लिखाई में काफी अच्छी थीं. उनकी स्कूलिंग डीपीएस नोएडा से हुई, 2008 में उन्होंने 12वीं पास की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए शिकागो के परड्यू यूनिवर्सिटी का रुख किया.

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इस दौरान यहां उन्होंने 5 वर्षों तक वो पढ़ाई की और साथ ही गोल्फ की प्रैक्टिस भी की. गोल्फ से प्रेम होने के चलते ग्रेजुएशन के बाद वो अमेरिका में ही प्रोफेशनल खिलाड़ी के तौर पर गोल्फ खेलती रहीं और 2015 में वैशवी शिकागो से भारत वापस आ गई.

वैशवी के पिता को भी था देसी गायों से प्यार

उन्होंने बताया क‍ि जब वे भारत लौंटी तो उन्होंने कुछ ऐसा करने की ठानी, जिससे वो समाज और देश में कुछ बदलाव ला सकें और उसके लिए कुछ अच्छा कर सकें. वैशवी ने बताया कि एक दिन परिवार के साथ खाना खाते समय उनके पापा ने लीक से हटकर काम करने की सलाह दी, उनके पिता आलोक सिन्हा IAS अधिकारी रहे हैं, उन्हें देसी गाय से भी बहुत प्रेम था तो उन्होंने देसी गायों के संरक्षण और इनकी नस्ल को सुधारने पर काम करने की सलाह दी.

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इस दिशा में काम करने का मन बनाते हुए उन्होंने वर्ष 2017 में 10 गायें खरीदी और आज इस फार्म पर करीब 250 गौवंश हैं जिसमें उनके पास 6 देसी नस्ल-गिर, साहिवाल,थारपारकर, राठी, स्वर्ण कपिला, रेड सिंधी हैं. इसी के साथ वैशवी अपने निकट के क्षेत्र के किसानों को भी जैविक खेती और देसी गायों के गौपालन को लेकर प्रेरित कर रही हैं. उनके इस कदम से क्षेत्र के किसान भी काफी सकारात्मक और उत्साहित हैं.